DARBHANGA AIIMS: बिहार के दरभंगा जिले में 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों बिहार के दूसरे एम्स का शिलान्यास होने जा रहा है। यह परियोजना मिथिलांचल, उत्तर बिहार, और नेपाल के लाखों लोगों के स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। दरभंगा एम्स के निर्माण की प्रक्रिया में कई वर्षों तक राजनीतिक खींचतान और विवाद बने रहे, लेकिन अब इसके शिलान्यास से लोगों में उत्साह का माहौल है।
दरभंगा एम्स: एक दशक की लंबी संघर्ष गाथा
दरभंगा में एम्स की घोषणा पहली बार 2015-16 में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा की गई थी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल का हिस्सा था। लेकिन एम्स की जमीन को लेकर केंद्र और बिहार सरकार के बीच आठ वर्षों तक विवाद चला। 2019 में दरभंगा एम्स को केंद्र सरकार की स्वीकृति मिली और 2021 में बिहार सरकार ने जमीन भी प्रदान कर दी। फिर भी, राजनीतिक विवादों और कई बदलावों के चलते एम्स का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया।
नई जमीन और निर्माण की शुरुआत
दरभंगा के शोभन बाईपास के पास पंचोभ में 187 एकड़ भूमि पर अब एम्स का निर्माण तय किया गया है। इससे पहले इस परियोजना के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज (DMCH) के परिसर को चुना गया था, लेकिन नए स्थल के चयन के बाद यह विवाद समाप्त हुआ। बिहार सरकार ने इस परियोजना के लिए मिट्टी भराई का काम भी शुरू कर दिया है, जिसके लिए 309 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है।
एम्स के निर्माण से मिथिलांचल को क्या लाभ होंगे?
दरभंगा में बनने वाले इस एम्स से न केवल मिथिलांचल और उत्तर बिहार के जिलों (दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सुपौल, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, और बेतिया) को लाभ होगा, बल्कि नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग भी इससे लाभान्वित होंगे। उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अब बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। इस एम्स से लगभग दो करोड़ लोगों को उच्च-स्तरीय चिकित्सा सेवाएं प्राप्त होंगी।
एम्स के निर्माण के लिए स्थानीय खुशी और उत्साह
दरभंगा के पंचोभ गांव के निवासियों में एम्स के निर्माण को लेकर खुशी का माहौल है। स्थानीय निवासी अनिल कुमार झा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि इस ऐतिहासिक दिन का इंतजार गांव वालों ने कई सालों से किया था। यह गांव अब बिहार का दूसरा प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र बनने जा रहा है, जिससे लोगों के लिए रोजगार के अवसर और क्षेत्र का विकास भी होगा।
स्थानीय सांसद की अपील और उत्साहवर्धन
एम्स के शिलान्यास कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए स्थानीय सांसद गोपाल जी ठाकुर लोगों के बीच जाकर अक्षत बांट रहे हैं, ताकि लोग इस शुभ अवसर पर शामिल हों और कार्यक्रम को सफल बनाएं। उन्होंने मिथिलांचल के सभी जिलों से लोगों को इस कार्यक्रम में भाग लेने का आह्वान किया है।
जानकारों की राय: राजनीति ने किया दरभंगा एम्स को देरी
वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी ने एम्स की देरी को सियासी खींचतान का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि 9 साल तक राजनीतिक उठापटक और राज्य-केंद्र सरकार के विवादों ने इस परियोजना को प्रभावित किया। वहीं, पत्रकार सुनील पांडेय ने इसे राजनेताओं के बदलते राजनीतिक चरित्र का उदाहरण बताया, जिसने इस परियोजना को लंबे समय तक रोके रखा।