Prayagraj Kumbh Mela 2025: पूर्णिया, बिहार की समृद्ध लोककला के लिए प्रसिद्ध है। इसके कलाकारों को अब प्रयागराज के ऐतिहासिक महाकुंभ मेले में अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिला है। यह मेला हर 12 साल में आयोजित होता है और इसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेते हैं। इस बार पूर्णिया के कलाकार झिझिया और पमारिया नृत्य के साथ समा चकेवा गीतों की प्रस्तुति देंगे, जो बिहार की लोक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।
बिहार की लोक संस्कृति का प्रदर्शन
प्रयागराज के महाकुंभ मेले में पूर्णिया के कलाकार अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन करेंगे। झिझिया नृत्य, पमारिया नृत्य और समा चकेवा गीतों के माध्यम से वे बिहार की समृद्ध लोकसंस्कृति को जीवंत करेंगे। यह आयोजन न केवल कलाकारों के लिए बल्कि बिहार की लोक संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए भी एक बड़ा मंच है।
कलाकारों की टीम
पूर्णिया की टीम में मशहूर शास्त्रीय और लोक नृत्य गुरु अमित कुंवर और टीम लीडर कुमारी चांदनी शुक्ला के नेतृत्व में 15 सदस्य शामिल हैं। इनमें चार पुरुष और 11 महिला कलाकार हैं। इन कलाकारों को उत्तर मध्य क्षेत्र प्रयागराज, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आमंत्रण मिला है।
चार दिनों तक प्रदर्शन
महाकुंभ के उद्घाटन से लेकर अगले चार दिनों तक, पूर्णिया की टीम प्रतिदिन आधे घंटे की प्रस्तुति देगी। उनकी प्रस्तुतियों में विलुप्त हो रहे पारंपरिक लोक नृत्य जैसे झिझिया, पमारिया और समा चकेवा शामिल होंगे। यदि उन्हें अतिरिक्त समय मिलता है, तो वे कजरी और झूमर जैसे अन्य पारंपरिक नृत्य भी प्रस्तुत करेंगे।
कलाकारों की खुशी
कलाकारों ने अपनी खुशी जाहिर की है कि उन्हें महाकुंभ जैसे ऐतिहासिक और भव्य मंच पर अपनी कला दिखाने का मौका मिला है। यह उनके लिए एक सपना सच होने जैसा है। उन्होंने कहा कि वे अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोहने के लिए पूरी मेहनत करेंगे।
महाकुंभ में प्रदर्शन का अवसर
पूर्णिया के कलाकारों को महाकुंभ में प्रदर्शन का यह अवसर उनकी कला के प्रति समर्पण और मेहनत का परिणाम है। यह आयोजन बिहार की लोककला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करेगा। महाकुंभ में इन कलाकारों की प्रस्तुति न केवल दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगी, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए रखने में योगदान देगी।