Bihar News : अयोध्या में रामलल्ला के भोग पर गहराए संकट के बादल, कैमूर में 100 के बजाय 25 हेक्टेयर में हुई गोबिंद भोग धान की खेती, किसान बोले-समय पर नहीं मिलता यूरिया

Bihar News : अयोध्या में रामलल्ला के भोग पर गहराए संकट के बा

KAIMUR : देश के प्रसिद्ध चावल गोबिंद भोग चावल जो कैमूर जिले के मोकरी गाँव में उपजता है। इसी गोबिंद भोग चावल से अयोध्या में श्रीराम चंद्र को भोग लगता है। लेकिन वहाँ के किसान यूरिया खाद की किल्लत झेल रहे है। उनके लागत के अनुसार क़ीमत नहीं मिलने से गोबिंद भोग चावल के खेती करने से अब कतराने लगे है। इलाके में जहाँ 100 हेक्टेयर में गोबिंद भोग चावल की खेती होती थी। वहीँ कई परेशानियों के कारण आज मात्र 25 हेक्टेयर में खेती होती है। 

सरकार की अनदेखी

किसानों का कहना है की मखाना की खेती पर बिहार सरकार जितना ध्यान देती है। उतना गोबिंद भोग की खेती पर देती तो किसान खुशहाल रहते। चावल उत्पादन के बाद लागत के अनुसार गोबिंद भोग चावल का कीमत नहीं मिलता। उसी चावल को बिचौलिया बाजार में दोगुने दाम पर बेचते है।

अयोध्या में राम लल्ला को लगता है भोग

अयोध्या में कुणाल किशोर ने बिहार के मोकरी के गोबिंद भोग चावल से अयोध्या में रामलला को भोग लगाने का परम्परा शुरू किया था। जिसके लिए कई वर्षों से हर साल कैमूर जिले से गोबिंद भोग चावल अयोध्या जाता है। गोबिंद भोग चावल का खासियत है कि जब चावल पकता है तो आसपास सुगंधित हो जाता है। चावल के खुशबू  और हल्का होने के कारण पूरे देश मे मशहूर है। माता मुंडेश्वरी मंदिर के पावरा पहाड़ी से जब बारिश के पानी जड़ी बूटी युक्त खेतो में पानी जाता है उसी क्षेत्रों में गोबिंद भोग चावल का उपजता है जिससे सुगंधित होता है।

किसान छोड़ रहे गोबिंद भोग चावल के खेती

किसानों का कहना है कि गोबिंद भोग चावल जिस क्षेत्र में उपजता है वहाँ मात्र एक फसल होता है और उत्पादन भी कम होता है। जितना लागत लगता है उतना कीमत नहीं मिलता। जब चावल तैयार होता है तो उस समय कीमत 40 रुपया मिलता है। उसी चावल को बिचौलिया स्टोर कर 150 तक कीमत पर बेचते है। सरकार की सहकारिता विभाग भी इस चावल को नहीं खरीदता है। जब खेतो में उर्वरक की जरूरत पड़ती है तो उचित कीमत पर नहीं मिलता। जिससे काफी परेशानी होती है। बिहार सरकार से मदद मिलता तो किसान गोबिंद भोग चावल उपजाने से कतराते नहीं। जिस खेत मे गोबिंग भोग चावल उपजता था। आज वहाँ चावल के दूसरा किस्म किसान मजबूरी में लगाते है।

कैमूर से देवब्रत की रिपोर्ट