Tractor Residence Certificate: कुत्ते के बाद नकली प्रमाण पत्र का नया मामला, ट्रैक्टर का निवास प्रमाण-पत्र, सिस्टम पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल

Tractor Residence Certificate:कुत्ता के निवास प्रमाण पत्र के बाद ट्रैक्टर के निवास प्रमाण पत्र ने हलचल मचा दी है।...

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कुत्ते के बाद नकली प्रमाण पत्र का नया मामला- फोटो : reporter

Tractor Residence Certificate:कुत्ता के निवास प्रमाण पत्र के बाद ट्रैक्टर के निवास प्रमाण पत्र ने हलचल मचा दी है। मुंगेर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक सिस्टम की साख पर सवालिया निशान लगा दिया है। मुंगेर में जो मामला सामने आया है, वह निश्चित ही प्रशासनिक भ्रष्टाचार, आधिकारिक लापरवाही और तकनीकी असुरक्षा की एक दुर्भाग्यपूर्ण मिसाल है। 8 जुलाई 2025 को जारी एक निवास प्रमाण पत्र का खुलासा हुआ, जिसमें सोनालिका सिंह के नाम से जो दस्तावेज जारी किया गया,। इसमें प्रभात कुमार का डिजिटल हस्ताक्षर भी पाया गया, जो एक और चौंकाने वाली बात है।

कुत्ते के नकली प्रमाण पत्र का मामला अभी ठंड़ा भी नहीं पड़ा था कि ट्रैक्टर के निवास प्रमाण पत्र का मामला सामने आया है।  मुंगेर अंचल कार्यालय से 8 जुलाई 2025 को एक निवास प्रमाण-पत्र जारी किया गया, जिसमें नाम था  सोनालिका सिंह पिता-बेगूसराय चौधरी, माता बालिया देवी, और पता तरकटोरा पुर दियरा, वार्ड संख्या-17, डाकघर-कुत्तापुर दर्ज है। हैरानी की बात यह कि इस ‘नकली प्रमाण-पत्र’ पर प्रभात कुमार का डिजिटल हस्ताक्षर भी मौजूद है। प्रमाण-पत्र संख्या BRCCO/2025/14127367 जैसे ही RTPS पोर्टल पर सत्यापित की गई, तो खुलासा हुआ। 

यह न केवल प्रशासनिक स्तर पर गलतियों का परिणाम है, बल्कि यह दर्शाता है कि कितनी आसानी से सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। यह मामला यह सवाल उठाता है कि क्या ऐसे प्रमाण पत्र अब वास्तविक दस्तावेजों की तुलना में अधिक मान्य हो गए हैं? क्या आधिकारिक संस्थाओं का इस पर ध्यान नहीं जाता, और इस पर कोई गंभीर कार्रवाई नहीं होती? क्या यह सिर्फ तकनीकी असुरक्षा का परिणाम है, या फिर यह कोई सोची-समझी साजिश है?

आजकल जहां एक तरफ आधार और राशन कार्ड जैसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों को लेकर लोगों को सरकार की ओर से कई सुरक्षा उपायों और सत्यापन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ फर्जी प्रमाण पत्रों के चलते लोग आसानी से सरकारी सेवाओं और सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।

प्रशासनिक भ्रष्टाचार और तकनीकी असुरक्षा की इस तिकड़ी को सुलझाना अब एक गंभीर चुनौती बन चुका है। क्या अधिकारियों को इस दिशा में और अधिक सजग होने की आवश्यकता नहीं है, ताकि फर्जी प्रमाण पत्र जैसे मामलों से बचा जा सके और जनता का विश्वास प्रशासन पर कायम रहे?

यह घटना न केवल मुंगेर के लिए, बल्कि समूचे प्रशासनिक तंत्र के लिए एक चेतावनी है कि यदि समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो अराजकता और भ्रष्टाचार की खाई और भी गहरी हो सकती है।