Bihar Mausam: बारिश की बूँदों में जीवन की खुशबू, मुजफ्फरपुर में सावन की रिमझिम बनी राहत की बौछार , नई उम्मीदें लेकर आई बरसात

सावन की पावन बेला में जब पहलेजा घाट से कंधे पर जल उठाकर बाबा गरीबस्थान की ओर बढ़ते हैं शिवभक्त, तो रास्ते की तपन और पसीना उनकी आस्था की परीक्षा बन जाती है। मगर इस वर्षा ने उन कठिनाइयों को शीतल कर दिया है। ...

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सावन की रिमझिम बनी राहत की बौछार- फोटो : reporter

Bihar Mausam: मुजफ्फरपुर की तपती ज़मीन पर जब पहली बारिश की बूंदें गिरीं, तो जैसे धरा ने राहत की लंबी साँस ली और आकाश ने मुस्कुरा कर उसे भीगने का निमंत्रण दिया। लंबे समय से झुलसती गर्मी और आसमान की खामोशी से परेशान जनजीवन को आखिरकार प्रकृति ने अपनी करुणा का आंचल थमा दिया है।

देर रात से जारी झमाझम वर्षा ने मानो पूरे शहर को नहलाकर ताजगी का स्पर्श दे दिया हो। आम नागरिक, जो दिनों से उमस और गर्म हवाओं के बीच राहत की तलाश में थे, अब बालकनी, छत और सड़कों पर आकर पहली बारिश का स्वागत कर रहे हैं। बच्चों की हँसी, बूंदों की थाप और मिट्टी की सौंधी खुशबू ने शहर की उदासी को झंकार में बदल दिया है।

वहीं, किसानों के चेहरे पर तो जैसे आशा ने फिर से उजास भर दी हो। खेतों की प्यासी माटी, जो बरसात के इंतजार में अपनी दरारों में टूटती जा रही थी, अब बारिश की छुअन से फूली नहीं समा रही। धान की बुआई की राह देख रहे अन्नदाता अब खेतों की ओर बढ़ चले हैं—कंधे पर हल, आंखों में उम्मीद और होठों पर धन्यवाद।

इस सुखद मौसम ने श्रावण मास के कांवड़ियों को भी विशेष उपहार दिया है। सावन की पावन बेला में जब पहलेजा घाट से कंधे पर जल उठाकर बाबा गरीबस्थान की ओर बढ़ते हैं शिवभक्त, तो रास्ते की तपन और पसीना उनकी आस्था की परीक्षा बन जाती है। मगर इस वर्षा ने उन कठिनाइयों को शीतल कर दिया है। अब न धूप की जलन, न उमस की घुटन—केवल भक्ति, बारिश और बाबा की नगरी की ओर बढ़ते कदम।

मुजफ्फरपुर का मौसम इन दिनों कविता बन चुका है—हर बूँद एक छंद, हर बादल एक भाव। लोगों के चेहरे पर सुकून है, किसान के माथे पर राहत की बूँदें हैं, और आकाश की चुप्पी में अब संगीत की बयार है।यह बारिश सिर्फ जल नहीं, उम्मीद की धारा है जो ज़मीन से लेकर ज़ेहन तक, सब कुछ सींच रही है।

रिपोर्ट- मणिभूषण शर्मा