Bihar Politics: सियासत में वंशवाद की एंट्री? बेटे को मैदान में उतारने की तैयारी में जदयू विधायक अशोक चौधरी

बिहार की राजनीति में वंशवाद कोई नया विषय नहीं है, लेकिन मुजफ्फरपुर के सकरा विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक अशोक चौधरी द्वारा अपने पुत्र आदित्य कुमार को मैदान में उतारने की तैयारी ने एक बार फिर इस बहस को गरमा दिया है।..

JDU MLA Ashok Chaudhary
सियासत में वंशवाद की एंट्री? - फोटो : reporter

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में वंशवाद कोई नया विषय नहीं है, लेकिन मुजफ्फरपुर के सकरा विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक अशोक चौधरी द्वारा अपने पुत्र आदित्य कुमार को मैदान में उतारने की तैयारी ने एक बार फिर इस बहस को गरमा दिया है।

2020 के विधानसभा चुनाव में अशोक चौधरी ने सकरा सीट से महज कुछ हजार मतों से जीत दर्ज की थी। एनडीए सरकार के तहत पांच वर्षों का कार्यकाल बीत चुका है, लेकिन स्थानीय जनता विकास के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है।

अब जब चुनाव की आहट नजदीक है, तो विधायक अशोक चौधरी अपने उत्तराधिकारी के रूप में बेटे को सामने लाकर सकरा की राजनीतिक विरासत को सुरक्षित रखने की कोशिश में लग गए हैं। हालांकि जनता का मूड इस बार अलग नजर आ रहा है।

स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि जब पूरे कार्यकाल में विधायक कभी ठीक से क्षेत्र में दिखाई नहीं दिए, विकास की एक भी ठोस परियोजना जमीन पर नहीं उतरी, तो अब सिर्फ चेहरे बदलने से हालात नहीं बदलेंगे। सोशल मीडिया पर पोस्टर और प्रचार तो जरूर शुरू हो गया है, लेकिन जनता अब वादों की बजाय परिणाम पर वोट देने की बात कह रही है।

लोगों का आरोप है कि अशोक चौधरी चुनिंदा लोगों के संपर्क में रहते हैं, और पूरे क्षेत्र की सियासत चंद चेहरों के भरोसे चलती है। क्षेत्र में कभी-कभार आना, धार्मिक स्थलों पर चंदा देना और सामाजिक आयोजनों में योगदान देना वोट बैंक बनाए रखने की चाल बनकर रह गई है।अब जब बेटे आदित्य कुमार के नाम पर बैनर-पोस्टर लग रहे हैं, तो जनता यह सवाल उठा रही है कि क्या विकास की जगह वंशवाद ही अब टिकट का आधार बन गया है?

सकरा की जनता का स्पष्ट रुख है—"हमें न जदयू चाहिए, न राजद, न भाजपा, हमें चाहिए विकास।" जनता कह रही है कि जो भी पार्टी या प्रत्याशी ठोस योजना और ईमानदार नीयत के साथ विकास का वादा करेगा, इस बार समर्थन उसी को मिलेगा।ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या वंशवाद पर सवार जदयू को इस बार जनता का समर्थन मिलेगा, या सकरा की जनता वोट की ताकत से जवाब देगी?

रिपोर्ट-मणिभूषण शर्मा