Bihar News: बिहार की महिला नेता ने बड़ा घपलाबाजी किया है। महिला नेता ने अपने बेटे बेटी के जन्म को लेकर ही बड़ा खेल खेला था। वहीं जब इसका भेद खुला तो बड़ी कार्रवाई की गई है। दरअसल, राज्य निर्वाचन आयोग ने नालंदा जिले की अस्थावां नगर पंचायत की चेयरमैन लाडली सिन्हा को पद से हटा दिया है। उन्होंने अपने बेटे और बेटी को जुड़वां बताकर पद हासिल किया था, लेकिन एक तस्वीर ने उनकी सच्चाई उजागर कर दी।
फोटो ने खोली राज
फोटो में बच्चों की ऊंचाई और उम्र में अंतर साफ नजर आ रहा था। इस मामले में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी पर भी गलत जन्म प्रमाण-पत्र जारी करने के आरोप में कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। लाडली सिन्हा ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि उनकी दूसरी बेटी और बेटा जुड़वां हैं, जबकि वाद दायर करने वाले शिवबालक यादव ने आरोप लगाया कि उन्होंने बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 का उल्लंघन किया है। याचिका में बताया गया कि लाडली सिन्हा की 4 अप्रैल 2008 के बाद तीन संतानें हैं, जिनमें से दो को जुड़वां बताया गया। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तर्क और साक्ष्य पेश किए। आधार कार्ड और मेडिकल रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई, लेकिन जांच में ये दस्तावेज गलत पाए गए।
बेटी के आधार कार्ड में दर्ज कराई गलत उम्र
परिवादी के अधिवक्ता ने प्रमाणों के साथ बताया कि तत्कालीन मुखिया के लेटर पैड का इस्तेमाल कर एक बेटी के आधार कार्ड में गलत उम्र दर्ज कराई गई थी। उस समय लाडली सिन्हा स्वयं मुखिया थीं। बच्चों की मेडिकल जांच रिपोर्ट में भी हेरफेर की गई थी। साथ ही एक तस्वीर पेश की गई, जिसमें तीनों बच्चों की उम्र और कद में स्पष्ट अंतर दिख रहा था। आयोग ने जांच में पाया कि लाडली सिन्हा की दो से अधिक संतानें जीवित हैं, जिससे वे इस पद के लिए अयोग्य थीं। इसके बावजूद वे चुनाव जीत गईं।
तथ्य छिपाने पर लाडली सिन्हा के खिलाफ होगी कार्रवाई
गलत हलफनामा देने और जानकारी छिपाने के आरोप में लाडली सिन्हा के खिलाफ विधिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। जिला प्रशासन को उनके खिलाफ उचित कानूनी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा जन्म प्रमाण-पत्र में गड़बड़ी करने वाले तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी के विरुद्ध भी आरोप-पत्र गठित कर नहर विकास एवं आवास विभाग को भेजने का निर्देश दिया गया है। जांच में सामने आया कि कार्यपालक पदाधिकारी ने नियमों का पालन किए बिना और जांच अधिकारी के हस्ताक्षर के बिना जन्म प्रमाण-पत्र जारी किया था।