बिहार बंद में सड़कों पर तड़पती रही आम आदमी की ज़िंदगी, कहीं इंसानियत संवेदनहीन तो कहीं तीखी नोकझोंक
बिहार बंद की कई ऐसी तस्वीरों ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं – क्या हम इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि सड़कों पर इंसानियत दम तोड़ती रहे और हम नारे लगाते रहें?

Bihar Band: बिहार एक बार फिर बंद की आग में झुलसता दिखा है। आम जनजीवन जबरन ठप कराने की कोशिश और हर तरफ हाहाकार मचने का रूप गुरुवार को पटना सहित राज्य के कई शहरों में देखने को मिला है। बांस-बल्ला लगाकर सड़कें जाम, ऑफिस जाने वालों की भीड़ है जो असहाय होकर राह ताक रही हो। और आम लोगों की जिंदगी सियासी आंदोलनों की बलि चढ़ते हुए कई जगहों पर देखी गई है।
पटना में ऐसी ही कई परेशान करने वाले वाकये सामने आये जब किसी को अस्पताल जाने में बाधा आई तो कोई सड़क पर मरीज को गोद में उठाकर चलने को मजबूर दिखा. यहां तक कि यूरिन बैग लटकाए मरीजों को भी अस्पताल जाने के लिए वाहन नहीं मिलता दिखा और वे सड़क पर चिलचिलाती धूप में परिजनों की गोद में जिंदगी की जद्दोजहद करते दिखे. पटना के डाकबंगला चौराहा के पास ऐसे ही मरीज दिखे जिनकी पीड़ा थी कि उन्हें अस्पताल जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल रहा है क्योंकि बंद समर्थक किसी को आगे जाने नहीं दे रहे हैं.
वहीं इनकम टैक्स गोलम्बर पर बंद समर्थकों से एक बाइक सवार की तीखी नोकझोंक भी हुई. उसका कहना था कि जब जनता को ही परेशान करना है तो जनहित में यह बंद कैसे हुआ. वहीं बंदद करने वालों के अपने तर्क हैं, अपने मुद्दे हैं, लेकिन अमूमन जैसा राजनीतिक दलों के बंद में होता एक बार फिर कई दारुण करने वाली तस्वीरें सामने आई जिसमें बंद के करण आम जनता की कमर तोड़ दी जाए, ऐसी स्थिति दिखी.
जहानाबाद में एक महिला के साथ बंद समर्थक महिलाओं की धक्कामुक्की का वीडियो भी सामने आया है. इसे लेकर सियासत भी होने लगी और राजद ने सोशल मीडिया पर जहानाबाद की घटना का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा है, 'मोदी के गुंडों ने एक महिला शिक्षिका को स्कूल जाने से रोक कर उनके साथ गाली गलौज, बदतमीजी, हाथापाई और शोषण किया। मोदी जी ये भी किसी की माँ-बहन और पत्नी है। खैर! पत्नी का दर्द तो आप जानते ही नहीं!'