Bihar election: गोपालगंज में तीन प्रत्याशियों समेत राहुल गांधी पर आचार संहिता उल्लंघन के आरोप, बीजेपी ने की सख्त कार्रवाई की मांग

Bihar election: बिहार चुनाव 2025 में आचार संहिता उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं। गोपालगंज में तीन प्रत्याशियों पर केस दर्ज हुआ है जबकि बीजेपी ने राहुल गांधी के खिलाफ मुख्य चुनाव अधिकारी से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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जन सुराज समेत कांग्रेस पर मुसीबत- फोटो : social media

Bihar election:  बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। चुनाव प्रचार अपने चरम पर है और सभी दल मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन इसी बीच कई उम्मीदवारों पर चुनाव आयोग के निर्देशों की अवहेलना का आरोप लग चुका है।

गोपालगंज जिले के भोरे विधानसभा क्षेत्र में तीन प्रत्याशियों पर मामला दर्ज किया गया है। यह तीनों उम्मीदवार अलग-अलग राजनीतिक दलों से हैं। आरोप है कि उन्होंने प्रचार सामग्री और पार्टी झंडों के उपयोग में आयोग के तय मानकों का पालन नहीं किया।

गोपालगंज में तीन प्रत्याशियों के खिलाफ एफआईआर

भोरे विधानसभा सीट पर राज्य के शिक्षा मंत्री और जेडीयू उम्मीदवार सुनील कुमार पर मानक झंडे के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। इसी तरह वामपंथी दल सीपीआई (माले) के उम्मीदवार धनंजय पासवान पर झंडे के आकार और रंग को लेकर शिकायत दर्ज हुई है। वहीं जन सुराज पार्टी की उम्मीदवार प्रीति किन्नर पर स्थानीय प्रशासन ने चुनाव आयोग के नियमों की अवहेलना का आरोप लगाया है। जिला प्रशासन के अनुसार, तीनों मामलों में साक्ष्य एकत्र कर जांच शुरू कर दी गई है।

राहुल गांधी पर भी उठे सवाल

राज्य की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब बिहार बीजेपी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ मुख्य चुनाव अधिकारी से शिकायत की। पार्टी का कहना है कि राहुल गांधी ने एक जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी टिप्पणी की, जो चुनाव आचार संहिता के साथ-साथ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का भी उल्लंघन है। बीजेपी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि राहुल गांधी से सार्वजनिक माफी मंगवाई जाए और उन्हें कुछ समय के लिए प्रचार से प्रतिबंधित किया जाए। पार्टी ने इसे लोकतांत्रिक मर्यादा बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम बताया है।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले

बिहार में यह कोई नई बात नहीं है। पिछले चुनावों में भी कई बार नेताओं को चुनाव आयोग के नियमों की अनदेखी के कारण कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। तेज प्रताप यादव, अनंत सिंह जैसे नेताओं पर भी आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। अक्सर देखा गया है कि प्रचार के दौरान भाषणों में भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल, सार्वजनिक स्थानों पर बैनर लगाना और सरकारी साधनों का उपयोग इन मामलों की मुख्य वजह बनते हैं।

आदर्श आचार संहिता की अहमियत

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लागू की जाने वाली आदर्श आचार संहिता चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण नियम है। इसके तहत किसी भी दल या प्रत्याशी को धार्मिक या जातीय भावनाओं को भड़काने की अनुमति नहीं होती। सरकारी संसाधनों का उपयोग प्रचार के लिए करना सख्त वर्जित है। इसके साथ ही चुनाव प्रचार सामग्री जैसे बैनर, झंडे और पोस्टरों के लिए आयोग ने तय आकार और स्थान के नियम बनाए हैं। इन नियमों का उल्लंघन होने पर पुलिस कार्रवाई, जुर्माना या प्रचार पर अस्थायी रोक लगाई जा सकती है।

चुनाव आयोग का सख्त रवैया

राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाए। आयोग ने कहा है कि चुनाव की निष्पक्षता से कोई समझौता नहीं होगा और जो भी उम्मीदवार नियम तोड़ेगा, उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।