Bihar Election: बिहार में कम मतदान का डर! छठ के बाद मजदूरों का पलायन बढ़ा, खाली पड़ सकते हैं बूथ, ठूस-ठूस कर ट्रेनों में जा रहे लोग

Bihar Election: बिहार में 6 और 11 नवंबर को मतदान होना है, लेकिन छठ पर्व के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे शहरों की ओर लौट रहे हैं। रोजगार की मजबूरी के चलते कम मतदान की आशंका बढ़ी।

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छठ के बाद ट्रेनों में उमड़ी भीड़- फोटो : social media

Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार एक अलग तरह की चुनौती सामने आई है। राज्य में 6 और 11 नवंबर को मतदान होना है, लेकिन जैसे-जैसे तारीख नज़दीक आ रही है, रेलवे स्टेशनों पर प्रवासी मजदूरों की भीड़ बढ़ती जा रही है।

पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और गया जैसे बड़े जंक्शनों से दिल्ली, मुंबई, पंजाब, सूरत और चेन्नई जाने वाली सभी ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट है।रेलवे का कहना है कि 15 नवंबर तक लगभग सभी प्रमुख ट्रेनों में सीटें फुल हैं, जिससे यह साफ है कि बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा के बाद काम पर लौट रहे हैं।

पेट पहले, वोट बाद में—मजबूरी में लौटते प्रवासी मजदूर

छठ पूजा खत्म होते ही कई मजदूर घर से निकलने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि कंपनियों से सिर्फ कुछ दिनों की ही छुट्टी मिली थी और अगर वे समय पर वापस नहीं लौटे, तो नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। पटना जंक्शन पर भीड़ के बीच खड़े एक मजदूर ने कहा किहम वोट देना चाहते हैं, लेकिन पेट भी भरना है। कंपनी ने 10 दिन की छुट्टी दी थी, अब नहीं गए तो काम छूट जाएगा। एक अन्य प्रवासी ने कहा कि अगर बिहार में काम होता तो पंजाब क्यों जाते? यहां रोजगार की कमी है, इसलिए छठ खत्म होते ही वापसी करनी पड़ रही है। यह स्थिति एक बार फिर दिखाती है कि रोजगार की कमी और आर्थिक संकट बिहार के चुनावी माहौल पर गहरा असर डाल रहे हैं।

पलायन एक पुरानी लेकिन गहरी जड़ वाली समस्या

विशेषज्ञों के अनुसार, पलायन अब बिहार की स्थायी सामाजिक और आर्थिक सच्चाई बन चुका है। जनरल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स’ की रिपोर्ट बताती है कि बिहार से जाने वाले लोगों में 55% रोजगार की तलाश में 3% व्यापार और 3% शिक्षा के लिए राज्य छोड़ते हैं। राज्य की करीब 6% आबादी पंजाब की ओर जाती है। हर साल लाखों लोग मुंबई, दिल्ली, गुजरात, चेन्नई और दक्षिण भारत के औद्योगिक इलाकों में काम की तलाश में निकलते हैं। इस बार भी वही तस्वीर दिख रही है — छठ के तुरंत बाद मजदूरों की वापसी शुरू हो गई है, जिससे मतदान पर सीधा असर पड़ सकता है।

रेलवे में रिकॉर्ड भीड़ स्पेशल ट्रेनों में 150% तक ऑक्यूपेंसी

रेलवे के आंकड़े बताते हैं कि दीपावली और छठ के दौरान 20% अधिक यात्रियों ने बिहार की यात्रा की थी। अब वापसी का सिलसिला और तेज हो गया है। दानापुर मंडल से 100 से अधिक ट्रेनें रोज़ाना देश के बड़े शहरों की ओर रवाना हो रही हैं। संपूर्ण क्रांति, श्रमजीवी, मगध, पाटलिपुत्र, पंजाब मेल और राजेंद्र नगर–एलटीटी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में भारी भीड़ है। जनरल डिब्बों की ऑक्यूपेंसी 150% तक पहुंच गई है, जो बताता है कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर राज्य छोड़ रहे हैं — ठीक चुनाव से कुछ दिन पहले।

कम मतदान की आशंका राजनीतिक दलों के लिए चुनौती

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह परिस्थिति सभी दलों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। कई जिलों में प्रवासी मजदूरों की अनुपस्थिति से मतदान प्रतिशत घटने की आशंका है। विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में इसका प्रभाव अधिक होगा, जहां प्रवासी वर्ग के वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक दल अब सोशल मीडिया, फोन कॉल और लोकल कार्यकर्ताओं के माध्यम से उन परिवारों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं, जिनके सदस्य बाहर चले गए हैं। कुछ दल डाक मतपत्र और प्रॉक्सी वोटिंग जैसे विकल्पों को लेकर भी मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं।

प्रवासी मजदूरों की आवाज अगर रोजगार होता तो वोट जरूर देते

विरेंद्र पाल, जो मुंबई लौट रहे हैं कहते हैं छठ में गांव आया था, लेकिन कंपनी से सिर्फ 10 दिन की छुट्टी मिली थी। अगर दो नवंबर तक नहीं पहुंचा तो नौकरी जाएगी। वोट देना चाहकर भी नहीं दे सकता। संगीता देवी, जो कोयंबटूर की ओर जा रही हैं, बताती हैं हम पूरा परिवार ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते हैं। अगर बिहार में रोजगार होता तो बाहर क्यों जाते? कंपनी पगार काट लेगी, इसलिए निकलना पड़ा। रेखा देवी, भागलपुर से लुधियाना जाने वाली मतदाता कहती हैं हमारे यहां 11 नवंबर को वोट है, लेकिन काम जरूरी है। दो हफ्ते रुकने का मतलब पगार का नुकसान।