Bihar Land Survey: बिहार के इन सीओ पर 6 दिन बाद से शुरु होगी बड़ी कार्रवाई, सरकार के आदेश को नहीं माना तो फेरा में पड़ जाएंगे, जानिए क्या है मामला

Bihar Land Survey: बिहार के सभी सीओ को डीएम ने अब आखिरी चेतावनी दे दी है। सीओ को 31 मार्च तक का समय दिया गया है अगर इस दिन तक सीओ से काम नहीं किया तो फिर उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

जमीन
mutation pending 7824 applications for 75 days- फोटो : social media

Bihar Land Survey:  पटना जिले में दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्लस से जुड़े हजारों मामले लंबित पड़े हैं। जिले में 7,824 दाखिल-खारिज के आवेदन 75 दिनों से और 15,149 परिमार्जन प्लस के आवेदन 120 दिनों से अटके हुए हैं। सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी (डीएम) डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने संबंधित अंचलाधिकारियों को 31 मार्च तक सभी लंबित मामलों का निपटारा करने और नए आवेदनों को एक्सपायर्ड न होने देने का सख्त निर्देश दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने साफ कहा है कि अगर जिले में दाखिल-खारिज 31 मार्च तक शून्य नहीं हुआ तो फिर सीओ पर कार्रवाई की जाएगी।

बिहटा में सबसे ज्यादा लंबित मामले

जिले के घोसवरी, पंडारक और विक्रम अंचल में दाखिल-खारिज के सभी मामले निपटा दिए गए हैं, जबकि बेलछी और अथमलगोला में एक-एक मामला लंबित है। वहीं, दनियावां में 7 और दुल्हिन बाजार में 8 मामले अभी भी लंबित हैं। जिले में सबसे अधिक बिहटा में 2,133, संपतचक में 1,878, दीदारगंज में 1,053, दानापुर में 594 और नौबतपुर में 455 मामले 75 दिनों से अधिक समय से अटके हुए हैं। जिलास्तर पर इन लंबित मामलों की जांच की जा रही है। डीएम ने निर्देश दिया है कि भूमि सुधार उप समाहर्ता प्रत्येक सप्ताह एक अंचल का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

डीसीएलआर को लंबित मामलों के निपटारे का निर्देश

डीएम ने सभी डीसीएलआर (डिप्टी कलेक्टर लैंड रिफॉर्म) को बीएलडीआरए कोर्ट में 90 दिनों से अधिक लंबित मामलों और म्यूटेशन अपील में 30 दिनों से अधिक लंबित मामलों का जल्द निपटारा करने का निर्देश दिया है। वर्तमान में जिले में 21,803 दाखिल-खारिज के मामले लंबित हैं।

सरकारी विभागों को भूमि उपलब्ध कराने का आदेश

पटना जिले में 15 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (एपीएचसी) और 335 स्वास्थ्य उप केंद्र (एचएससी) के भवन निर्माण के लिए भूमि की आवश्यकता है। एपीएचसी के लिए 15,000 वर्गफीट और एचएससी के लिए 3,000 वर्गफीट (6 डिसमिल) भूमि की जरूरत है। प्रशासन ने संबंधित विभागों को इस संबंध में तेजी से कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

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