मंत्री लखेन्द्र कुमार रोशन का CM को पत्र, SC-ST अत्याचार मामलों में पुलिसिया सुस्ती पर उठाए सवाल
बिहार के SC-ST कल्याण मंत्री लखेन्द्र कुमार रोशन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर दलित और आदिवासी समाज की समस्याओं के समाधान की मांग की है।
Patna - बिहार सरकार के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री लखेन्द्र कुमार रोशन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखकर राज्य के दलित और आदिवासी समुदायों के विकास और सुरक्षा से जुड़े कई गंभीर मुद्दों पर हस्तक्षेप की मांग की है। 30 दिसंबर 2025 को लिखे गए इस औपचारिक पत्र में मंत्री ने पुलिस विभाग की सुस्ती और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को प्रमुखता से उजागर किया है।
पुलिस जांच में देरी से रुक रहा है पीड़ितों का लाभ
मंत्री लखेन्द्र कुमार रोशन ने अपने पत्र में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि 'अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम-1989' के तहत दर्ज मुकदमों में पुलिस स्तर पर भारी लापरवाही हो रही है। बड़ी संख्या में प्राथमिकियों (FIR) के बाद चार्जशीट पुलिस अधिकारियों के पास लंबित है। इस प्रशासनिक देरी के कारण पीड़ित परिवारों को मिलने वाली आर्थिक सहायता और अन्य सरकारी लाभ समय पर नहीं मिल पा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस प्रक्रिया में तेजी लाने हेतु निर्देश देने का अनुरोध किया है।
भूमिहीन परिवारों को जमीन और टोलों का विकास
राज्य के बुनियादी ढांचे पर जोर देते हुए मंत्री ने मांग की है कि जिलों में रह रहे भूमिहीन SC-ST परिवारों को चिन्हित कर, विशेष अभियान चलाकर भूमि उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही उन्होंने 'डॉ. अंबेडकर समग्र सेवा अभियान' और 'मुख्यमंत्री ग्रामीण पक्की गली-नाली निश्चय योजना' का जिक्र करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति बहुल टोलों को इन योजनाओं से शत-प्रतिशत कवर किया जाना चाहिए ताकि गांवों के हर कोने तक सड़क और नालियां पहुंच सकें।
छात्रावासों में स्वास्थ्य संकट: कुपोषण और एनीमिया पर विशेष ध्यान
पत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा छात्र कल्याण से जुड़ा है। मंत्री ने राज्य के 91 आवासीय विद्यालयों और 137 छात्रावासों की स्थिति पर ध्यान आकर्षित करते हुए वहां स्वास्थ्य कैंप लगाने की मांग की है। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया है कि इन छात्रावासों में रहने वाली छात्राओं में खून की कमी (एनीमिया) और छोटे बच्चों में कुपोषण की समस्या गंभीर है। उन्होंने मांग की है कि बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच कराई जाए और उन्हें मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराई जाएं।