Bihar land Survey: बिहार के इतने प्रखंड के इतने गांव की रिपोर्ट देख राजस्व मंत्री हुए फायर, इतने CO और अधिकारी निशाने पर
Bihar land Survey: बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण कार्य में प्रथम चरण के तहत 20 जिलों के 89 अंचलों में शामिल 5657 गांवों में धीमी प्रगति को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने कड़ा रुख अपनाया है।

Bihar land Survey: बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण कार्य में प्रथम चरण के तहत 20 जिलों के 89 अंचलों में शामिल 5657 गांवों में धीमी प्रगति को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने कड़ा रुख अपनाया है। शनिवार को भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मंत्री ने राज्य के 38 जिलों के बंदोबस्त अधिकारियों के साथ सर्वेक्षण की प्रगति पर चर्चा की और कार्य में सुस्ती पर नाराजगी जताई। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि रैयतों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो और सर्वेक्षण कार्य को तय समय पर पूरा करने के लिए ठोस टारगेट निर्धारित किए जाएं। साथ ही, फील्ड स्तर पर निरीक्षण को और बढ़ाने का आदेश दिया गया।
सर्वेक्षण में सुस्ती पर चिंता, अधिकारियों को फटकार
समीक्षा बैठक में शामिल अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, सचिव जय सिंह, और निदेशक कमलेश कुमार सिंह के साथ-साथ सभी जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों ने प्रथम चरण की प्रगति पर विस्तृत जानकारी साझा की। बैठक में सामने आया कि कई जिलों में स्वघोषणा पत्र (प्रपत्र-2) और वंशावली जमा करने की प्रक्रिया में अपेक्षित गति नहीं है। विशेष रूप से पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में रैयतों की ओर से स्वघोषणा और वंशावली जमा करने में देरी पर मंत्री ने गहरी नाराजगी जताई।
मंत्री सरावगी ने कहा, "विशेष सर्वेक्षण का उद्देश्य रैयतों को उनकी जमीन का सही और पारदर्शी रिकॉर्ड उपलब्ध कराना है, लेकिन अगर अधिकारी ही इस कार्य में लापरवाही बरतेंगे, तो यह लक्ष्य कैसे पूरा होगा? सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।" उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ सर्वे कार्य में गड़बड़ी की शिकायत मिली, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रैयतों की सुविधा सर्वोपरि, टारगेट तय करने का निर्देश
मंत्री ने स्पष्ट किया कि सर्वेक्षण के दौरान रैयतों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं होनी चाहिए। इसके लिए सभी अंचलों में स्थापित विशेष सर्वेक्षण शिविरों का नियमित निरीक्षण करने और रैयतों की समस्याओं का तत्काल समाधान करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि अधिकारी सप्ताह में कम से कम एक बार शिविरों का दौरा करें, ताकि जमीन मालिकों को दस्तावेज जमा करने या अन्य प्रक्रियाओं में कोई परेशानी न हो।
बैठक में प्रत्येक जिले के लिए कार्य पूर्ण करने का टारगेट भी तय किया गया। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि रैयतों की सुविधा के लिए प्रक्रिया में लगातार सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने बंदोबस्त पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ नियमित बैठकें करें और सभी सरकारी निर्देशों को नीचे तक पहुंचाएं। सचिव जय सिंह ने कहा कि फील्ड निरीक्षण से न केवल कार्य में तेजी आएगी, बल्कि रैयतों का भरोसा भी बढ़ेगा।
विशेष सर्वेक्षण का महत्व और प्रगति
बिहार में विशेष भूमि सर्वेक्षण का कार्य बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अधिनियम 2011 के तहत चल रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य जमीन के स्वामित्व से जुड़े विवादों को खत्म करना, अभिलेखों का डिजिटलीकरण करना, और रैयतों को उनकी जमीन का सही खतियान उपलब्ध कराना है। प्रथम चरण में 20 जिलों के 5657 गांवों को शामिल किया गया है, जिसमें अब तक करीब 38 लाख स्वघोषणा पत्र प्राप्त हुए हैं। रोहतास जिला इस मामले में सबसे आगे है, जहां 3.93 लाख प्रपत्र-2 जमा हुए हैं, जबकि भोजपुर और पूर्वी चंपारण जैसे जिले पीछे हैं।
हालांकि, सरकार का दावा है कि नवंबर 2025 तक पूरे राज्य में सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए 10 हजार नए कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर फील्ड में उतारा गया है। सरकार का मानना है कि सर्वे पूरा होने के बाद जमीन से जुड़े विवादों में कमी आएगी और खरीद-बिक्री की प्रक्रिया भी आसान होगी।
फील्ड निरीक्षण और जागरूकता पर जोर
मंत्री सरावगी ने विशेष रूप से जोर दिया कि सर्वेक्षण को सफल बनाने के लिए रैयतों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों को ग्राम सभाओं का आयोजन कर लोगों को स्वघोषणा पत्र और वंशावली जमा करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताने को कहा। साथ ही, ऑनलाइन पोर्टल के उपयोग को बढ़ावा देने और ऑफलाइन प्रक्रिया को और सरल करने पर भी बल दिया गया।
उन्होंने कहा, "हमारी प्राथमिकता है कि हर रैयत को अपनी जमीन का सही रिकॉर्ड मिले। इसके लिए तकनीक का उपयोग तो हो ही रहा है, लेकिन फील्ड में मौजूद अधिकारियों की सक्रियता भी उतनी ही जरूरी है।"
आगे की राह
सर्वेक्षण कार्य की मॉनिटरिंग के लिए मुख्यालय स्तर पर एक विशेष टीम गठित की गई है, जो फील्ड से मिलने वाली शिकायतों और समस्याओं का त्वरित समाधान कर रही है। दूसरे चरण के जिलों में भी स्वघोषणा और वंशावली जमा करने की प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया गया है।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में सभी अधिकारियों को एकजुट होकर काम करने और रैयतों के हितों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है।
बिहार में यह विशेष सर्वेक्षण न केवल जमीन के रिकॉर्ड को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह राज्य में भूमि सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाला भी साबित हो सकता है। अब यह देखना बाकी है कि मंत्री के कड़े निर्देशों के बाद सर्वेक्षण कार्य में कितनी तेजी आती है और रैयतों को कितनी राहत मिलती है।