Bihar Land Acquisition - जमीन की खरीद बिक्री के लिए हर जिले में बनेगी कमेटी, अक्सर होनेवाले विवाद से मिलेगा छुटकारा

Patna - बिहार में विकास योजनाओं के लिए जमीन की दर का निर्धारण एक कमेटी द्वारा किया जाएगा। यह कमेटी हर जिले में गठित की जाएगी और इस कमेटी में पांच सदस्य होंगे। वहीं यह कमेटी न सिर्फ जमीन के दर का निर्धारण करेगी, बल्कि उसके प्रकार और किस्म का भी निर्धारण करेगी। जिसके आधार पर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर समिति के गठन की जानकारी दी है।
इस कमेटी में अपर समाहर्ता (राजस्व) इस समिति के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा जिला भू अर्जन पदाधिकारी सदस्य सचिव, जिला अवर निबंधक उप विकास आयुक्त एवं जिस क्षेत्र में जमीन का अधिग्रहण हो रहा है, उसके भूमि सुधार उप समाहर्ता समिति में शामिल होंगे।
ग्रामीण इलाके में इस तरह से होगा अधिग्रहण की जमीन का वर्गीकरण
ग्रामीण इलाके में जमीन के अधिग्रहण के लिए सात श्रेणी निर्धारित की गई है। जो हैं व्यवसायिक भूमि, औद्योगिक भूमि, आवासीय भूमि, उच्च मार्ग तथा मुख्य सड़क के दोनों किनारे की भूमि, सिंचित भूमि, असिंचित भूमि, एवं बलुआही, पथरीली, दियारा और चंवर की भूमि।
इसी तरह शहरी क्षेत्र की जमीन का वर्गीकरण छह श्रेणियों में किया गया है- ये हैं:प्रधान सड़क व्यवसायिक, आवासीय भूमि, मुख्य सड़क की भूमि, औद्योगिक भूमि, शाखा सड़क की भूमि, अन्य सड़क की भूमि, कृषि एवं गैर-आवासीय भूमि। कमेटी यह निर्धारित करेगी कि अधिग्रहित की जानेवाली भूमि किस श्रेणी में आती है। उसके आधार पर जमीन की दर तय की जाएगी। इस दौरान भूमि अधिग्रहण की नई व्यवस्था में जमीन की डिजिटल फोटो एवं वीडियोग्राफी का प्रविधान है। इसमें जमीन पर उपस्थित सरकारी अधिकारियों का भी फोटो रहेगा। ताकि इससे पारदर्शिता बनी रहे।
अक्सर होता है विवाद, अब नहीं होगी समस्या
जमीन के अधिग्रहण के लिए कमेटी बनाए जाने के उद्देश्य को लेकर बताया गया कि अक्सर जमीन की प्रकृति को लेकर रैयत और अधिग्रहण करने वाले विभाग के बीच विवाद होता है। रैयतों की शिकायत रहती है कि उनकी जमीन की प्रकृति बदल दी गई है। उनकी जमीन आवासीय थी, लेकिन मुआवजे का निर्धारण चोती की जमीन के आधार पर किया गया है, इसलिए अब अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के समय ही जमीन की प्रकृति का निर्धारण हो जाएगा।
अधिग्रहण का नया दर होगा तय
जमीन अधिग्रहण में बड़ी परेशानी निबंधन की न्यूनतम दर निर्धारण में देरी के कारण हो रही है। न्यूनतम दर का निर्धारण 2017 में हुआ था। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने निबंधन विभाग से नया दर निर्धारित करने का आग्रह किया है।