Bihar Sunil Singh bungalow vacant: बिहार की राजनीति में एक बार फिर सरकारी बंगलों को लेकर सियासी टकराव सामने आया है। इस बार चर्चा का केंद्र RJD के पूर्व विधान पार्षद सुनील सिंह हैं, जिनका सरकारी बंगला प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में जबरन खाली कराया गया। इस घटना ने न केवल विपक्ष को नाराज किया है, बल्कि राज्य की सियासत में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। सुनील सिंह ने इसे बदले की कार्रवाई बताया और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बिना सूचना के जबरन खाली कराया गया बंगला
रविवार को गर्दनीबाग स्थित मंत्री आवास 4/20 को जबरन खाली कराने की कार्रवाई की गई। पुलिस बल और जिला प्रशासन की मौजूदगी में यह कार्रवाई की गई, जब सुनील सिंह और उनका परिवार बंगले में मौजूद नहीं था। सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि, "मेरे सामान को बिना किसी सूचना के घर के बाहर फेंक दिया गया। हमें इस कार्रवाई की कोई पूर्व जानकारी नहीं दी गई। जब मुझे इस बारे में बताया गया, तब मैं वहां पहुंचा और पाया कि यह सब कुछ सियासी बदले की भावना से हो रहा है।"
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— News4Nation (@news4nations) February 9, 2025
सत्ता पक्ष पर पक्षपात का आरोप
सुनील सिंह ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पूरी कार्रवाई राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है। उन्होंने कहा, "मैं विधान परिषद में रहते हुए सत्तापक्ष की गलतियों को उजागर करता था, इसी कारण यह बदले की भावना से किया गया है। कई ऐसे सत्तापक्ष के लोग हैं, जो अवैध रूप से सरकारी बंगलों में रह रहे हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। केवल मेरे खिलाफ ही यह कार्रवाई क्यों की गई?"
प्रशासन का पक्ष
हालांकि, इस मामले में प्रशासन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि सुनील सिंह अब विधान परिषद के सदस्य नहीं हैं, और उन्हें नियमों के अनुसार बंगला खाली करना था। अधिकारियों ने कहा, "यह एक नियमित प्रक्रिया है, जो सरकारी आदेशों के तहत की गई है। इसमें किसी प्रकार का पक्षपात नहीं हुआ है।"
मरम्मत में महीनों, खाली कराने में घंटों
बंगले की देखरेख पर सवाल उठाते हुए सुनील सिंह ने कहा कि, "अगर बंगले में कोई मामूली मरम्मत भी करवानी होती थी, तो विभाग को महीनों का समय लग जाता था। लेकिन जब बंगला खाली कराने की बात आई, तो सरकार ने इसे कुछ घंटों में ही निपटा दिया।" उन्होंने इसे पूरी तरह से सियासी बदले की भावना से प्रेरित बताया।
विपक्ष का हमला
इस कार्रवाई के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह कार्रवाई बदले की भावना से की गई है और यह पूरी तरह से अनुचित है। RJD के नेता सरकार पर निशाना साधते हुए इसे सियासी उत्पीड़न का एक और उदाहरण बता रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए ऐसे कदम उठा रही है।
सरकारी बंगलों को लेकर पहले भी रहा है विवाद
बिहार में सरकारी बंगलों को लेकर पहले भी कई बार विवाद हुआ है। यह मामला इस बार भी चर्चा में आ गया है, क्योंकि विपक्ष इसे सियासी बदले की कार्रवाई बता रहा है। वहीं, प्रशासन इसे नियमित प्रक्रिया कह रहा है। इससे पहले भी कई राजनीतिक नेताओं को सरकारी बंगले खाली करने को कहा गया है, जिसके बाद अक्सर ऐसे विवाद सामने आते हैं।
क्या है आगे की राह?
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर बिहार सरकार का अगला कदम क्या होगा और विपक्ष इस पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया देता है। इस मुद्दे ने बिहार की राजनीति में एक बार फिर से सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले पर क्या सफाई देती है और विपक्ष इस मुद्दे को कितना आगे बढ़ाता है।