Bihar Politics: बिहार की राज्यसभा की कुर्सियों का राजनीतिक खेल, पांच सीटों के लिए नए साल में तय होगी पांच नेताओं की सियासी किस्मत, दाव पर उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिष्ठा

राज्यसभा में बिहार के पांच सदस्य अगले वर्ष कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं, जिनमें राजद के प्रेमचंद गुप्ता और एडी सिंह, जनता दल यूनाइटेड के हरिवंश नारायण और रामनाथ ठाकुर, तथा राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं। ...

Bihar Rajya Sabha Seats 5 Leaders Upendra Kushwaha Fate to B
राज्यसभा की पांच सीटों के लिए नए साल में तय होगी पांच नेताओं की सियासी किस्मत- फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में नए साल 2026 से पहले ही राज्यसभा की पांच खाली होने वाली सीटों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। दरअसल, राज्यसभा में बिहार के पांच सदस्य अगले वर्ष कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं, जिनमें राजद के प्रेमचंद गुप्ता और एडी सिंह, जनता दल यूनाइटेड के हरिवंश नारायण और रामनाथ ठाकुर, तथा राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं। हालांकि, कुछ अप्रत्याशित राजनीतिक कारणों और जटिल समीकरणों के चलते पुराने चेहरे को फिर से मौका मिलने की संभावना बेहद कम दिखाई दे रही है।

राज्यसभा का यह गणित काफी सटीक है। बिहार विधानसभा में 202 विधायक एनडीए के हैं और शेष 41 अन्य दलों के पास हैं। राज्यसभा में एक सदस्य के चुनाव के लिए 48 विधायकों की ज़रूरत होती है। ऐसे में चार सीटों पर कुल 192 विधायकों की संख्या तय कर देती है कि एनडीए अपने उम्मीदवार को भेजने में पूरी तरह सक्षम है। लेकिन पांचवीं सीट के लिए अन्य दलों के सहयोग की दरकार रहेगी, वरना यह सियासी पेंच जटिल बन सकता है।

जमीनी रणनीति के अनुसार, जनता दल यूनाइटेड अपने दोनों वरिष्ठ नेताओं हरिवंश नारायण और रामनाथ ठाकुर को ही रिपीट करने का मन बना चुकी है। हरिवंश राज्यसभा के सभापति हैं और रामनाथ ठाकुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में हैं, इसलिए उनका फिर से चयन राजनीतिक रूप से सुरक्षित विकल्प है। भाजपा की ओर से दो सीटों पर उम्मीदवार तय माने जा रहे हैं, जिसमें कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन का नाम पहले से फाइनल है। नितिन नवीन ने हाल ही में मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा देकर यह रास्ता साफ किया है।

चौथी और पांचवीं सीट को लेकर भी बड़े पेंच बने हुए हैं। 2025 में हुए विधानसभा समझौते के अनुसार, लोजपा रामविलास को एक सीट मिलेगी, जिसे चिराग पासवान की मां रीना पासवान को दिया जाएगा। वहीं, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा को दूसरी सीट दोबारा भेजा जाएगा। लेकिन चौथी और पांचवीं सीट के लिए जिसे भी उम्मीदवार चाहिए, उसे वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा और राजनीतिक गठजोड़ों की बड़ी रणनीति अपनानी होगी।

सियासी जानकार मानते हैं कि नए वर्ष में बिहार की ये पांच राज्यसभा की सीटें केवल नामों का खेल नहीं, बल्कि सत्ता समीकरण, गठबंधन राजनीति और विधायकों की ताक़त का असली परीक्षा मैदान साबित होंगी। जहां एक ओर एनडीए को अपनी संख्या बल का लाभ है, वहीं महागठबंधन को रणनीतिक चालें चलकर ही सीटें हासिल करनी होंगी। ऐसे में बिहार की सियासत में कुर्सियों का यह खेल आने वाले महीनों में नई राजनीति की कहानी लिखेगा।