Bihar voter list: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, कहा-'बहुत से लोग बाहर काम करते हैं वो इतने...'

Bihar voter list: बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर उपेंद्र कुशवाहा और विपक्ष ने समय की कमी और प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। जानिए क्यों यह मुद्दा सियासत का केंद्र बन गया है।

Bihar voter list:
उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान- फोटो : Bihar voter list

Bihar voter list: बिहार में 25 जून से 26 जुलाई 2025 तक मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें राज्य के करीब 8 करोड़ मतदाताओं का सत्यापन किया जा रहा है। यह प्रक्रिया आमतौर पर हर चुनाव से पहले की जाती है, ताकि मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटिहीन बनाया जा सके।

हालांकि इस बार समय की कमी और अभियान की देर से शुरुआत ने इस प्रक्रिया को विवादास्पद बना दिया है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष और एनडीए सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिससे एनडीए के भीतर ही एक विचारात्मक मतभेद उभर आया है।

क्या सचमुच आमजन के लिए असहज?

उपेंद्र कुशवाहा का स्पष्ट कहना है कि बहुत से लोग बिहार से बाहर काम करते हैं, वो इतने कम समय में दस्तावेजों के साथ उपस्थित नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी बताया कि कई लोग ऐसे हैं जिनके पास न मैट्रिक सर्टिफिकेट है, न जन्मतिथि का प्रमाण, और न ही निवास प्रमाण पत्र। ऐसे में वे वैध मतदाता होते हुए भी वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं।

क्या है मुख्य चिंता?

दस्तावेजों की कमी से ग्रामीण और गरीब तबका प्रभावित हो सकता है।जो लोग शहरों या अन्य राज्यों में काम करते हैं, वे फिजिकली उपलब्ध नहीं होंगे।प्रक्रिया की सूचना भी कई लोगों तक देर से पहुंची है।इससे यह आशंका गहराई है कि कहीं यह पुनरीक्षण अभियान सामान्य नागरिकों को मताधिकार से वंचित करने का उपकरण न बन जाए।

विपक्ष का रुख पारदर्शिता पर सवाल

बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टियां, जैसे राजद, कांग्रेस, और वाम दल, पहले से ही इस प्रक्रिया को लेकर संदेह जता रही थीं। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया जल्दबाज़ी में शुरू की गई है। इसमें ट्रांसपेरेंसी की कमी है। जातिगत और राजनीतिक संतुलन को प्रभावित करने की मंशा हो सकती है।अब जब कुशवाहा जैसे एनडीए सहयोगी ने भी सवाल खड़े किए हैं, तो विपक्ष के आरोपों को नई मजबूती मिल गई है।

एनडीए के अन्य घटकों का समर्थन

इसके विपरीत, बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रामविलास) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा जैसे एनडीए के अन्य दल चुनाव आयोग की प्रक्रिया को "नियमित और निष्पक्ष" बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया हर चुनाव से पहले होती है। चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था है, जो निष्पक्षता से काम करती है। विपक्ष को अपनी हार का डर है, इसलिए मुद्दा बना रहा है।यह रुख एक प्रकार से प्रशासनिक प्रक्रिया में पूर्ण विश्वास को दर्शाता है, लेकिन कुशवाहा की चिंताएं इस विश्वास पर एक लोकतांत्रिक प्रश्नचिन्ह भी लगाती हैं।