Bihar news: बिहार की औरतों की नई कहानी,PM मोदी 26 सितंबर को 75 लाख खातों में करेंगे सीधे 10 हजार हस्तांतरण, महिलाओं के लिए स्वरोजगार और सशक्तिकरण से हर गांव-हर शहर में बदल रही है कहानी

बिहार की औरतों की नई दास्तान अब सिर्फ़ घर तक सीमित नहीं रही। स्वरोज़गार, उधार योजनाएँ और सशक्तिकरण के कार्यक्रम हर गाँव और शहर में उनके हौसले और मुक़द्दर को बदल रहे हैं।

Bihar Women Empowered
बिहार की औरतों की नई कहानी- फोटो : Hiresh Kumar

Bihar news: बिहार की औरतों की नई दास्तान अब सिर्फ़ घर तक सीमित नहीं रही। स्वरोज़गार, उधार योजनाएँ और सशक्तिकरण के कार्यक्रम हर गाँव और शहर में उनके हौसले और मुक़द्दर को बदल रहे हैं। महिलाएँ अब कौशल सीख कर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं, छोटी-छोटी उद्योग-धंधों में सक्रिय हो रही हैं और आर्थिक आज़ादी का झंडा लहरा रही हैं। यह बदलाव सिर्फ़ परिवार तक नहीं, पूरे समाज में रौनक और उम्मीद जगा रहा है। बिहार की औरतें अब नारी शक्ति की मिसाल बन रही हैं, जो अपने अधिकार और सम्मान की खातिर हर मोर्चे पर कदम बढ़ा रही हैं।

इसी क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व में बिहार सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और उद्यमिता को नई उड़ान देने के लिए जनकल्याणकारी पहल की शुरुआत की है। 26 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य की 75 लाख महिलाओं के बैंक खातों में ₹10-10 हजार की राशि सीधे हस्तांतरित करेंगे। यह कदम न केवल महिलाओं को अधिकार और अवसर देता है, बल्कि उन्हें पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विकास की मुख्य धारा में खड़ा करता है

बिहार के बांका जिले के झिरंवा गाँव की रिंकू देवी की कहानी इस बात की गवाही देती है कि महिला सशक्तिकरण केवल शब्दों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि ज़मीनी हक़ीक़त बन चुका है। रिंकू देवी अपने कृषि व्यवसाय को और व्यापक बनाने की तमन्ना रखती हैं। मशरूम उत्पादन और मधुमक्खी पालन में अपनी योग्यता के दम पर वे न केवल अपने परिवार की आर्थिक दशा सुधार रही हैं, बल्कि गाँव और प्रखंड की अन्य महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें भी आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखा रही हैं। इस योजना के तहत मिली आर्थिक सहायता ने उनके भीतर उद्यमिता की नई रोशनी जलाई है।

वहीं, बेगूसराय के खोदावंदपुर की सुनीता कुमारी, जो वर्तमान में ब्यूटीशियन के पेशे से जुड़ी हैं, कहती हैं कि इस योजना से उन्हें अपने पार्लर को आधुनिक बनाने और गाँव की अन्य महिलाओं तथा लड़कियों को प्रशिक्षण देने का अवसर मिला है। यह स्पष्ट संकेत है कि महिलाओं की भागीदारी केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं, बल्कि यह उन्हें समाज और अर्थव्यवस्था के मुख्य धारा में लाने का माध्यम भी है।

लाभार्थी महिलाओं से बातचीत में यह भी सामने आया कि यह आर्थिक सहायता केवल मदद नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का नया सशक्तिकरण लेकर आई है। महिलाएं अब अपने छोटे-बड़े व्यवसायों के ज़रिए न केवल आत्मनिर्भर बनेंगी, बल्कि देश-विदेश में बिहार की नारी शक्ति का नाम रोशन करेंगी।

दरअसल, यह पहल केवल “मदद” तक सीमित नहीं है, बल्कि महिलाओं को “रोज़गार प्रदाता” बनने की दिशा में प्रेरित करती है। अपनी मेहनत और लगन से महिलाएं न केवल अपने परिवार की दशा सुधारेंगी, बल्कि प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देंगी। यह योजना बिहार की सामाजिक-आर्थिक संरचना में महिलाओं की भागीदारी को मज़बूत करने वाला निर्णायक कदम है, जो यह संदेश देती है कि आधी आबादी को पूरा हक़, अधिकार और अवसर मिलना अब कोई दूर का सपना नहीं।