'पिता को गुर्दा दान करने वाली बेटी का तिरस्कार', लालू परिवार पर बीजेपी सांसद का बड़ा हमला, रोहिणी को लेकर कह दी बड़ी बात

Rohini Acharya : हर घर की कहानी है कि जरूरत पड़ने पर बेटे काम आएं या ना आएं पर बिटिया निश्चित काम आती है। बेटे, बेटियां दो आंखों के समान होते हैं । कोई भी आंख कमजोर नहीं होती....पढ़िए आगे..

रोहिणी आचार्य
रोहिणी आचार्य का तिरस्कार!- फोटो : social media

Rohini Acharya : बिहार में एक ओर जहां विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है तो वहीं दूसरी ओर लालू परिवार में अंदरुनी कलह सुर्खियां बटोर रहा है। रोहिणी आचार्य ने लालू परिवार से दूरी बना ली है। उन्होंने अपने परिवार सहित राजद पार्टी से जुड़े तमाम लोगों को अनफॉलो कर दिया है। साथ ही अपना अकाउंट भी प्राइवेट कर लिया है। वहीं अब इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि रोहिणी आचार्य भी तेज प्रताप की तरह पार्टी और परिवार से दूर हो सकती हैं। इसी बीच बीजेपी सांसद ने लालू परिवार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि जिस बेटी ने गुर्दा दानकर अपने पिता की जीवन बचाई आज बेटे के मित्र के कारण उसका तिरस्कार किया जा रहा है। 

पुत्र प्रेम में बेटे के मित्र के लिए बेटी का तिरस्कार

दरअसल, बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने सोशल मीडिया के जरिए  लालू परिवार पर बड़ा हमला बोला है। संजय जायसवाल ने ट्विट कर कहा कि, "पहली बार देख रहा हूं कि एक पुत्री जिसने अपना गुर्दा दानकर पिता के जीवन की रक्षा की है उसको माता-पिता पुत्र प्रेम में पड़कर बेटे के मित्र के कारण तिरस्कृत कर रहे हैं। आज की बेटियां सशक्त भी हैं और सक्षम भी ।

बेटी का अपमान माँ दुर्गा का अपमान 

बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि, हर घर की कहानी है कि जरूरत पड़ने पर बेटे काम आएं या ना आएं पर बिटिया निश्चित काम आती है।  बेटे, बेटियां दो आंखों के समान होते हैं । कोई भी आंख कमजोर नहीं होती । जो परिवार पुत्र मोह में पड़कर बेटी का अपमान करता है वह ना मां दुर्गा का भक्त है और ना हीं सनातनी हिंदू।

लालू परिवार में दरार !

बिहार चुनाव नजदीक आते ही लालू यादव के परिवार में खींचतान तेज हो गई है। तेज प्रताप पहले ही पार्टी से निष्कासित हो चुके हैं, जबकि रोहिणी आचार्य के हालिया सोशल मीडिया पोस्ट से संकेत मिल रहे हैं कि वह भी सक्रिय राजनीति से दूरी बना रही हैं। रोहिणी ने हाल में पिता को किडनी डोनेट करने का वीडियो साझा करने के बाद लिखा था कि उन्होंने बेटी और बहन के नाते अपना धर्म निभाया है। न उन्हें किसी पद की लालसा है, न राजनीतिक महत्वाकांक्षा। उनके लिए आत्म-सम्मान सर्वोपरि है। 

कैसे शुरु हुआ विवाद

दरअसल, विवाद की शुरुआत बिहार अधिकार यात्रा के दौरान हुई, जब तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव बस की अगली सीट पर बैठे नजर आए। आरजेडी नेताओं का मानना है कि आगे की सीट शीर्ष नेतृत्व के लिए आरक्षित होती है। इस पर सोशल मीडिया यूजर आलोक कुमार की टिप्पणी को रोहिणी ने बिना कुछ लिखे अपने एक्स पर शेयर कर दिया। हालांकि, संजय यादव पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद रोहिणी ने शाम तक एक और पोस्ट कर स्थिति को संभालने की कोशिश की और दो नेताओं की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि “वंचितों और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वर्ग को आगे लाना ही लालू यादव जी के सामाजिक-आर्थिक न्याय के अभियान का मूल मकसद है।”