Bihar Politics: जिनकी सिफारिशों ने बदल दी सियासत, मंडल कमीशन वाले बीपी मंडल को भाजपा ने किया याद, जदयू ने काटी कन्नी,जानिए क्यों?

Bihar Politics: पूर्व मुख्यमंत्री बीपी मंडल की पुण्यतिथि पर मंडल मसीहा को कमंडल दल कहे जाने वाले भाजपा ने शिद्दत से याद किया वहीं जदयू नेताओं को इसकी याद तक नहीं आई।

BP Mandal
बीपी मंडल से जदयू ने काटी कन्नी- फोटो : social Media

Bihar Politics:  मंडल मसीहा' और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बीपी मंडल की पुण्यतिथि पर उन्हें  पूरे देश ने याद किया। कमंडल की राजनीति करने वाली पार्टी  भाजपा कार्यालय में रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा हुई। इसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मंडल के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि बीपी मंडल की विचारधारा आज भी प्रासंगिक है। हम उनके दिखाए मार्ग पर चलकर सामाजिक समरसता को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं साल 2024 तक राजकीय समारोह आयोजित कर मंडल को याद करने वाली पार्टी जदयू में कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की जदयू में अगस्त में न तो जयंती पर कोई कार्यक्रम आयोजित किया गया था और न हीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई।

बीपी मंडल एक ऐसे नेता थे, जिन्होनें मंडल कमीशन से पिछड़ों को आरक्षण दिलवायी। जिनकी  सिफारिशों ने बिहार हीं नहीं देश की सियासत को बदल दी, मंडल मसीहा को कमंडल दल कहे जाने वाले भाजपा ने शिद्दत से याद किया वहीं जदयू नेताओं को इसकी याद तक नहीं आई।

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाला है, बिहार की राजनीति में जातियों की बात गौड़ करना बेमानी होगी। ऐसे में जदयू ने बीपी मंडल के पुण्यतिथि पर उन्हे श्रद्धाजलि न देकर क्या संदेश दिया है?

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बता दें जदयू के प्रदेश अध्यक्ष और बीपी मंडल के पौत्र निखिल कुमार मंडल के बीच पिछले साल विवाद हो गया था। अप्रैल 2024 में जदयू के उमेश कुशवाहा ने बीपी मंडल के पौत्र को जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने जदयू के प्रवक्ता पद से हटा दिया था। लोकसभा चुनाव को लेकर प्रवक्ताओं की नई सूची जारी की गई थी। इस नई सूची में निखिल मंडल का नाम नहीं था। तब निखिल मंडल ने एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने लिखा था कि 'प्रदेश अध्यक्ष जी, आपकी कृपा से ना राजनीति में नहीं हूं और ना किसी पद पर हूं. 2020 का विधानसभा चुनाव आप भी हारे और मैं भी हारा. आप प्रदेश अध्यक्ष हैं तो आदरणीय नीतीश कुमार जी के आशीर्वाद से, ना कि अपनी काबिलियत से. पार्टी में पिछले 19 साल से कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं और आदरणीय नीतीश कुमार जी के हाथों को ना सिर्फ मैं बल्कि मेरा पूरा परिवार मजबूत कर रहा है.

इसके बाद जदयू का स्टैड बदला हुआ दिख रहा है। अगस्त 2024 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बीपी मंडल की 106वीं जयंती पर मधेपुरा स्थित पैतृक गांव में राजकीय समारोह आयोजित कर याद किया गया , जिसमें तत्कालीन गवर्नर राजेंद्र अर्लेकर,मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नंदकिशोर यादव, सम्राट चौधरी  सहित भाजपा, जदयू के बड़े नेता शामिल हुए थे लेकिन  जदयू के पार्टी दफ्तर में कोई कार्यक्रम नहीं हुआ था तो पुण्यतिथि 13 अप्रैल 2025 को भी उन्हे श्रद्धाजलि नहीं दी गई।

बता दें देश के उस समय के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बीपी मंडल की अध्यक्षता में अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया, जिसे मंडल कमीशन के नाम से जाना जाता है। कुछ समय बाद, मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने फिर से सरकार बनाई। इस दौरान 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया।

दिसंबर 1980 में मंडल आयोग ने अपनी रिपोर्ट तत्कालीन गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह को प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में विभिन्न धर्मों के पिछड़े वर्ग की तीन हजार से अधिक जातियों की पहचान की गई। आयोग ने सरकारी नौकरियों में इन जातियों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की। अगस्त 1990 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने केंद्र सरकार की नौकरियों में 27 प्रतिशत ओबीसी कोटा लागू करने की ऐतिहासिक घोषणा की। मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार, केंद्र सरकार की नौकरियों में पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त हुआ। इसी आयोग की एक अन्य सिफारिश के तहत केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में दाखिलों में भी पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। 

बहरहाल एक तरफ नीतीश सरकार बीपी मंडल की जयंती के मौके पर  राजकीय समारोह आयोजित कर उन्हें याद करती है तो दूसरी तरफ राजनीतिक पंडितों के अनुसार जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा  का बीपी मंडल के पौत्र निखिल मंडल से जो संबंध हो, बीपी मंडल देश के नेता थे, उन्हें जदयू याद नहीं करके क्या संदेश देना चाहती है।