Bihar News: सीएम नीतीश ने IAS संजीव हंस का निलंबन किया खत्म, जानिए कब होगी तैनाती, हाइकोर्ट से मिली थी जमानत
Bihar News: सीएम नीतीश ने IAS संजीव हंस का निलंबन खत्म कर दिया है। अब संजीव हंस की राज्य सरकार में तैनाती होने का रास्ता साफ हो गया है। इसके पहले पटना हाईकोर्ट ने भी संजीव हंस को जमानत दे दिया था।
Bihar News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आईएएस संजीव हंस को बड़ी राहत दी है। नीतीश सरकार ने संजीव हंस के निलंबन को खत्म कर दिया है। अब जल्द ही उनकी तैनाती होगी। संजीव हंस ऊर्जा विभाग के पूर्व प्रधान सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। सीएम नीतीश के आदेश पर उनका निलंबन खत्म किया गया है। इसको लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को आदेश जारी कर दिया है।
नीतीश सरकार ने निलंबन किया मुक्त
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार जल्द ही उनकी नई तैनाती करेगी। जानकारी के मुताबिक, अक्टूबर में पटना उच्च न्यायालय से सशर्त जमानत मिलने के बाद संजीव हंस ने सामान्य प्रशासन विभाग में अपना योगदान दे दिया था। मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए शर्त रखी है कि वे केस की सुनवाई के दौरान देश नहीं छोड़ेंगे और अदालत में नियमित रूप से उपस्थित रहेंगे।
जल्द होगी तैनाती
संजीव हंस के वकील डॉ. फारुख खान के अनुसार, अदालत ने पाया कि मामले में कई खामियां हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे वित्तीय लेनदेन या अपराध से अर्जित धन के उपयोग की पुष्टि हो सके। ऐसे में आरोपी को हिरासत में रखना न्यायसंगत नहीं माना गया।
आदलत ने पाया कई खामियां
संजीव हंस के वकील डॉ. फारुख खान के अनुसार, अदालत ने पाया कि मामले में कई खामियां हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे वित्तीय लेनदेन या अपराध से अर्जित धन के उपयोग की पुष्टि हो सके। ऐसे में आरोपी को हिरासत में रखना न्यायसंगत नहीं माना गया।
1 साल से जेल में बंद थे संजीव हंस
गौरतलब है कि आईएएस संजीव हंस पिछले करीब एक साल से जेल में बंद थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें अक्टूबर 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें पटना की बेऊर जेल में न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। इसी मामले में पटना हाई कोर्ट ने स्मार्ट मीटर समेत अन्य टेंडरों में रिश्वत देने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में अभियुक्त बनाए गए विभिन्न निजी कंपनियों से जुड़े तीन लोगों को भी जमानत दे दी है। तीनों करीब 10 महीने से जेल में बंद थे, जिनके जेल से बाहर आने का रास्ता अब साफ हो गया है।