Bihar Politics: बिहार सियासत में भूचाल, कांग्रेस ने रोकी तेजस्वी की राह? महागठबंधन में कुर्सी की जंग शुरू, अब कौन होगा CM?जानिए
Bihar Politics: राजद ने साफ कर दिया है कि तेजस्वी यादव ही उनका चेहरा होंगे, लेकिन कांग्रेस के बयानबाज़ी से समीकरणों में सियासी कंपन आ गया है।

Bihar Politics:बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर ‘सीएम फेस’ को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। राजद ने साफ कर दिया है कि तेजस्वी यादव ही उनका चेहरा होंगे, लेकिन कांग्रेस के बयानबाज़ी से समीकरणों में हल्का-सा सियासी कंपन आ गया है।बुधवार (13 अगस्त 2025) को बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारु सासाराम में पत्रकारों से बात कर रहे थे। जब उनसे पूछा गया—“मुख्यमंत्री कौन होगा?”—तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया “मुख्यमंत्री बनाने का अधिकार बिहार की जनता और चुने हुए एमएलए को है। जो वो चाहेंगे, वही मुख्यमंत्री बनेगा। जनता से पूछिए।”
यह बयान सीधे तौर पर तेजस्वी यादव के लिए एक छोटा, लेकिन अहम झटका माना जा रहा है। हालांकि महागठबंधन के भीतर फिलहाल यही तय है कि अगर सत्ता आई तो तेजस्वी ही सीएम होंगे, लेकिन कांग्रेस की ओर से ऐसे बयान बार-बार आना राजनीतिक संदेश जरूर देता है।
राजद के नेता हर मंच से कह रहे हैं कि तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। वहीं, कांग्रेस बार-बार ‘जनता का फैसला’ वाला राग अलाप रही है। सियासी पंडितों का मानना है कि यह कांग्रेस का अपना स्पेस बनाने और दबाव की राजनीति करने का तरीका है, ताकि सत्ता में हिस्सेदारी तय करते वक्त उनकी भूमिका बड़ी दिखे।
इस पूरे विवाद के बीच कांग्रेस और महागठबंधन की संयुक्त चुनावी तैयारियों में राहुल गांधी की यात्रा बड़ा इवेंट साबित हो सकती है। 17 अगस्त से सासाराम से शुरू होकर यह यात्रा बिहार के 21 जिलों में जाएगी।
यात्रा में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और इंडिया गठबंधन के अन्य बड़े नेता शामिल होंगे।मकसद है मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज़ उठाना और जनता को ‘वोट के अधिकार’ के महत्व से जोड़ना।
सासाराम के जिला मुख्यालय में हुई बैठक में कृष्णा अल्लावारु, प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेता और पड़ोसी राज्यों के प्रभारी मौजूद रहे। इसमें संगठन की मजबूती, कार्यकर्ताओं की भूमिका और यात्रा की रणनीति पर लंबी चर्चा हुई।अल्लावारु ने कहा कि राहुल गांधी मतदाताओं को जागरूक करने निकले हैं। वह जनता की अदालत में जाएंगे और बताएंगे कि अगर संविधान को मजबूत रखना है, तो मतदाता को मजबूत करना होगा।
कांग्रेस का बयान महागठबंधन में ‘सॉफ्ट पावर गेम’ की झलक है। राजद के लिए यह संकेत है कि सहयोगी दल सिर्फ सपोर्टर की भूमिका में नहीं रहना चाहते।विपक्ष की एकजुटता का इमेज चुनाव से पहले ऐसे बयानों से हल्का-सा धुंधला हो सकता है।