बिहार आरक्षण कानून लागू करने और आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा खत्म करने की मांग, पीएम मोदी को कांग्रेस ने घेरा
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी निश्चित रूप से संसद के आगामी मानसून सत्र में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए बुनियादी महत्व के इन तीन मुद्दों को उठाएगी।
Bihar News: कांग्रेस ने शुक्रवार को बिहार आरक्षण कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची का हिस्सा बनाने, आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म करने के लिए संविधान में संशोधन करने और निजी शिक्षण संस्थानों में एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी के लिए आरक्षण को सक्षम करने वाले अनुच्छेद 15 (5) को लागू करने की अपनी मांग दोहराई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के पहले कांग्रेस ने यह मांग की है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेस ने इसे लेकर पीएम मोदी और सीएम नीतीश को निशाने पर लेते हुए बिहार की डबल इंजन सरकार को आड़े हाथो लिया. जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी निश्चित रूप से संसद के आगामी मानसून सत्र में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए बुनियादी महत्व के इन तीन मुद्दों को उठाएगी।
डबल इंजन सरकार पर हमला
कांग्रेस की ओर से की गई मांगों में जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री आज बिहार में हैं। बिहार में पूर्ववर्ती INDIA गठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जातीय सर्वेक्षण के आधार पर राज्य सरकार ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए 65% आरक्षण का प्रस्ताव रखा था। यह मामला फिलहाल न्यायालय में लंबित है। लेकिन बिहार की डबल इंजन सरकार ने इस मुद्दे पर लगभग पूरी तरह से हाथ खड़े कर दिए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की लंबे समय से यह स्पष्ट मांग रही है कि यदि इन तीन उपायों को लागू किया जाए, तो 65% आरक्षण को व्यावहारिक रूप से लागू किया जा सकता है: बिहार के आरक्षण कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। ठीक वैसे ही जैसे 1994 में नरसिंह राव सरकार ने तमिलनाडु में 69% आरक्षण को बनाए रखने के लिए किया था।
50 फीसदी की सीमा हटाए
संविधान में संशोधन कर 50% आरक्षण की सीमा को हटाया जाए, ताकि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए अधिक आरक्षण सुनिश्चित हो सके। यह सीमा संविधान में नहीं, बल्कि बीते छह दशकों में सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों के कारण बनी है।
निजी शैक्षणिक संस्थानों में भी आरक्षण
अनुच्छेद 15(5) के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और ईबीसी को निजी शैक्षणिक संस्थानों में भी आरक्षण दिया जा सकता है। यह प्रावधान 2006 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा लाए गए संवैधानिक संशोधन के तहत लागू हुआ था और सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार भी रखा था। लेकिन पिछले 11 वर्षों से इस प्रावधान को व्यवहार में नहीं लाया गया है।
मानसून सत्र में घमासान
सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण से जुड़े इन तीनों मूलभूत मुद्दों को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संसद के आगामी मानसून सत्र (21 जुलाई 2025 से) में पूरी दृढ़ता के साथ उठाएगी।