पटना डीटीओ के IDTR प्रबंधक रितेश को एक साल पहले ही हटाने की हो चुकी है अनुशंसा, जांच रिपोर्ट में पाया गया था दोषी, आज तक क्यों नहीं हुई कार्रवाई

patna dto पटना डीटीओ की एक साल पहले ट्रांसफर करने की अनुशंसा के बाद भी IDTR प्रबंधक के पद पर रितेश कुमार बने हुए हैं. जिसको लेकर अब सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर विभाग उन पर कार्रवाई करने से क्यों बच रही है

पटना डीटीओ के IDTR प्रबंधक रितेश को एक साल पहले ही हटाने की

Patna - एक अधिकारी जिसके काम को लेकर जांच रिपोर्ट में सही नहीं पाया गया और उसके ट्रांसफर के लिए अनुशंसा तक की गई, लेकिन एक साल से ज्यादा का समय गुजरने के बाद भी वह न सिर्फ अपने पद पर बना हुआ है। बल्कि उनकी मनमानी आज भी बदस्तूर जारी है। यहां बात ड्राइविंग टेस्ट सेंटर (IDTR) के प्रबंधक रितेश कुमार और यहां काम करनेवाले दूसरे कर्मियों की हो रही है। 

इन सभी को ट्रांसफर करने की अनुशंसा पिछले साल ही परिवहन विभाग के विशेष कार्य अधिकारी से की गई थी। लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं किया जा सका है। सवाल है कि जनता की भलाई के लिए जीरो टॉलरेंस का दम भरनेवाली सरकार एक अधिकारी पर इतनी मेहरबान क्यों है। लगातार शिकायत के बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पिछले साल हुई थी जांच

आईडीटीआर पटना के प्रबंधक रितेश के कार्यकलापों को लेकर पिछले साल पटना डीटीओ के निर्देश पर एमवीआई अजय कुमार द्वारा बीते 14 मार्च को IDTR, Patna का निरीक्षण किया गया था। इस दौरान IDTR, Patna के सभी कर्मियों को एक जगह इकट्ठा पाया गया था। साथ ही निरीक्षण रिपोर्ट में बताया गया कि कोई ड्राइविंग टेस्ट भी नहीं लिया जा रहा था। 

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लोगों से व्यवहार भी संतोषजनक नहीं

एमवीआई अजय कुमा ने रितेश कुमार को लेकर बताया कि सेंटर पर आये दिन आवेदकों द्वारा हंगामा किया जाता है। रितेश कुमार, प्रबंधक का अपने कर्मियों पर कोई नियंत्रण नहीं है एवं इनका व्यवहार आमलोगों के प्रति संतोषजनक नहीं है।

सभी के ट्रासंफर करने की बात

एमवीआई की रिपोर्ट के आधार पर अब IDTR, Patna के प्रबंधक रितेश कुमार सहित सभी कर्मियों के ट्रांसफर करने की अनुशंसा डीटीओ ने पिछले साल परिवहन विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी के पास की थी। लेकिन डीटीओ का यह लेटर विभाग में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 

रितेश कुमार पर लगे आरोप

 बता दें कि रितेश कुमार पर कुछ दिन पहले ही बाढ़ से आए युवक ने मारपीट करने का आरोप लगाया था। साथ ही युवक ने प्रबंधक पर सबकुछ सही होने के बाद भी न सिर्फ टेस्ट लेने से मना कर देने बल्कि लाइसेंस के लिए अयोग्य बता दिया था
  वहीं दूसरे आवेदक ने आरोप लगाया था कि यहां पूरी तरह से दलालों का राज कायम है। जो खास कोड से काम करते हैं, जिनके फॉर्म पर कोड होता था, उनका लाइसेंस आसानी से बन जाता है, वहीं जिनका कोड नहीं है, उन्हें कई दिन यहां चक्कर लगाना पड़ता है।

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