aadhar new rules: आधार के नए नियमों में जुड़ा फेस ऑथेंटिकेशन, जानिए क्या बदलेगा और लोगों की क्यों बढ़ रही चिंता?
aadhar new rules: केंद्र सरकार ने आधार से जुड़े नए नियमों को मंज़ूरी देकर सियासी और डिजिटल हलकों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
aadhar new rules: केंद्र सरकार ने आधार से जुड़े नए नियमों को मंज़ूरी देकर सियासी और डिजिटल हलकों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन क़ानून के तहत फेस ऑथेंटिकेशन और पर्पस लिमिटेशन रिक्वायरमेंट्स को हरी झंडी दे दी गई है। सरकार का दावा है कि ये कदम निजता की हिफाजत के साथ-साथ डिजिटल गवर्नेंस को मजबूत करेगा, लेकिन विपक्ष इसे निगरानी का नया औजार करार दे रहा है।
इन नए नियमों के लागू होते ही आधार कार्ड की भूमिका सिर्फ़ सरकारी दफ़्तरों तक सीमित नहीं रहेगी। अब निजी कंपनियां भी लीगल तरीके से आधार सिस्टम का इस्तेमाल कर सकेंगी। मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, UIDAI इन तमाम तब्दीलियों को रीडिज़ाइन किए गए आधार ऐप के ज़रिए लॉन्च करने की तैयारी में है। सरकार कह रही है कि मक़सद आम आदमी की ज़िंदगी को आसान बनाना और रोज़मर्रा के कामों में आधार की उपयोगिता बढ़ाना है।
सबसे अहम बदलाव फेस ऑथेंटिकेशन को लेकर है। अब आधार वेरिफिकेशन के लिए चेहरे की पहचान का इस्तेमाल होगा, जबकि पहले कई सरकारी संस्थानों में इस पर पाबंदी थी। आंखों या उंगलियों से पहचान संभव न होने की सूरत में फेस ऑथेंटिकेशन एक अहम किरदार निभाएगा और आधार होल्डर की भौतिक मौजूदगी को दर्ज करेगा।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन नियमों से पहले से बुक टिकट वाले इवेंट्स में सुरक्षा का दायरा और मज़बूत होगा। सरकार जल्द ही इन नियमों को लागू करने के मूड में है। नए निज़ाम के तहत आधार धारक को यह हक़ मिलेगा कि वह कौन-सी जानकारी साझा करना चाहता है। फोटो और उम्र से जुड़ी मालूमात भी उसकी मर्ज़ी से ही शेयर होंगी।सरकार इसे डाटा प्राइवेसी की जीत बता रही है, मगर सियासत के गलियारों में सवाल उठ रहे हैं क्या यह आज़ादी है या तकनीक के नाम पर निगरानी का नया दौर?