Fodder Scam : चारा घोटाला मामले में एक्शन में नीतीश, एक एक रुपए को लेगी वापस, जानिए क्या है मास्टर प्लान, लालू से जुड़ा है मामला

Fodder Scam : चारा घोटाला मामले में सीएम नीतीश एक्शन में है। नीतीश सरकार इस मामले में बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। सरकार इस घोटाले में शामिल लोगों से एक एक रुपए वापस लेगी। पढ़िए आगे....

नीतीश लालू
fodder scam - फोटो : social media

Fodder Scam : बिहार सरकार ने चारा घोटाला के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने के मूड में है। नीतीश सरकार ने चारा घोटाला में गबन किए गए 950 करोड़ रुपए की वापसी के लिए अब कोर्ट जाने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार सीबीआई और आईटी एजेंसियों से बातचीत कर मदद लेगी। इसकी जानकारी बिहार सरकार के वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दी है। उन्होंने कहा है कि सरकार वो हर एक प्रयास करेगी जिससे सरकार का पैसा वापस आ जाए। 

एक्शन में नीतीश सरकार 

बीते दिन इसकी जानकारी देते हुए उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सरकार हर संभव उपाय कर रही है ताकि यह राशि राज्य के खजाने में वापस आ सके। मालूम हो कि, पटना हाईकोर्ट ने 1996 में चारा घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपते समय यह निर्देश दिया था कि गबन की गई राशि आरोपियों की संपत्ति बेचकर बिहार सरकार को लौटाई जाए। हालांकि, 29 साल बीत जाने के बावजूद एक भी रुपया खजाने में वापस नहीं आया है। इस स्थिति से नाखुश सरकार ने अब इस मामले में बड़ी पहल शुरू की है।

950 करोड़ रुपए वापस लेगी सरकार

गौरतलब हो कि, चारा घोटाले में कई बड़े नेता और अधिकारी शामिल थे, जिनमें से कई को जेल की सजा हुई। लेकिन गबन की गई राशि की वापसी की प्रक्रिया अब भी अधूरी है। आरोपियों की संपत्ति जब्त करने और उसे नीलाम करने में कानूनी पेचीदगियां आड़े आ रही हैं। पटना के पॉश इलाकों में जब्त संपत्तियों पर बोर्ड लगाए गए हैं, लेकिन नीलामी की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है।

सीबीआई- आईटी से बातचीत शुरु 

सरकार ने सीबीआई और आयकर विभाग से इस मामले में बातचीत शुरू की है। वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिए। वहीं, चारा घोटाले की जांच के याचिकाकर्ता सरयू राय ने कहा कि प्रक्रिया को सरल बनाना जरूरी है ताकि सार्थक परिणाम मिल सकें।

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क्या है चारा घोटाला

चारा घोटाला एक भ्रष्टाचार कांड था जिसमें उत्तर भारतीय राज्य बिहार के सरकारी खजाने से लगभग ₹940 करोड़ (2023 में ₹48 बिलियन या US$550 मिलियन के बराबर) का गबन शामिल था। चोरी में शामिल और गिरफ्तार किए गए लोगों में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा भी शामिल थे। इस घोटाले के कारण मुख्यमंत्री के रूप में लालू का शासन समाप्त हो गया। दिनेश्वर प्रसाद शर्मा पर एस. एन. सिन्हा से 300.60 करोड़ रुपये प्राप्त करने का भी आरोप है। 23 दिसंबर 2017 को लालू प्रसाद यादव को विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया, जबकि जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया। यह चोरी कई वर्षों तक चली और इसमें कथित तौर पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और जनता दल पार्टियों के कई प्रशासनों के बिहार राज्य के कई प्रशासनिक और निर्वाचित अधिकारी शामिल थे। भ्रष्टाचार योजना में "काल्पनिक पशुधन के विशाल झुंड" का निर्माण शामिल था, जिसके लिए चारा, दवाइयाँ और पशुपालन उपकरण कथित तौर पर खरीदे गए थे। हालाँकि यह घोटाला 1996 में सामने आया था, लेकिन चोरी दो दशकों से जारी थी और इसका आकार बढ़ता जा रहा था। 

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