Bihar News: बिहार के 18 नगर निगमों में नए अंचल,देखें, आपका शहर शामिल है या नहीं

Bihar News: नगर निगमों की बड़ी होती हदें अब एक ही कमिश्नर के बस की बात नहीं रहीं, लिहाज़ा विकेंद्रीकरण की व्यवस्था लागू करना वक्त की मांग है।

New zones in 18 municipal corporations of Bihar
बिहार के 18 नगर निगमों में बनेंगे नए अंचल- फोटो : social Media

Bihar News:बिहार की सियासी गलियारों में इन दिनों एक नया प्रशासनिक तूफ़ान उठ खड़ा हुआ है। राज्य के 18 नगर निगमों में अब पटना मॉडल पर अलग-अलग अंचलों का गठन किया जाएगा। नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने इस बाबत डेढ़ दर्जन जिलों के जिलाधिकारियों को सख़्त हिदायत देते हुए पत्र भेजा है। आदेश में कहा गया है कि नगर निगमों की “बड़ी होती हदें” अब एक ही कमिश्नर के बस की बात नहीं रहीं, लिहाज़ा विकेंद्रीकरण की व्यवस्था लागू करना वक्त की मांग है।

इस नई नीति की जद में नालंदा, भोजपुर, रोहतास, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मुंगेर, गयाजी, पूर्णिया, कटिहार, सारण, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय, भागलपुर और सहरसा शामिल हैं। इन सभी ज़िलों के नगर निगमों में अंचलवार तंजीम तय होगी और प्रस्ताव तैयार कर फौरन रिपोर्ट सौंपने का फरमान जारी हो चुका है।

विभाग की दलील है कि जब एक नगर निगम का क्षेत्रफल बहुत बड़ा होता है, तो नगर आयुक्त के लिए हर वार्ड में चल रही तरक़्क़ी की फ़ाइल पर नज़र रखना मुश्किल हो जाता है। नतीजतन, कई अहम योजनाएं या तो धीमी पड़ जाती हैं या उनकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इस प्रशासनिक जाम को तोड़ने के लिए अब अंचल-स्तरीय अफ़सरशाही की तैनाती होगी।

आबादी और इलाके के हिसाब से अंचलों की संख्या तय की जाएगी। हर अंचल में कार्यपालक अभियंता, अभियंता और अन्य अफ़सरों की प्रतिनियुक्ति होगी। ये ज़ोनवार चौकीदार की तरह योजनाओं की निगरानी करेंगे। नगर आयुक्त, इन अंचलों में तैनात अफ़सरों के ज़रिए पूरे नगर निगम के कामकाज पर मज़बूत शिकंजा कस सकेंगे।

इस वक्त पटना नगर निगम में छह अंचल हैं, जहां हर जोन के पास अपनी टीम, अपना बजट और अपनी जवाबदेही है। अब यही मॉडल-ए-पटना बिहार के बाक़ी बड़े शहरों में लागू होने जा रहा है। जानकारों का मानना है कि इस कदम से नगर प्रशासन में तेजी तो आएगी, मगर राजनीतिक दख़लअंदाज़ी और अफ़सरशाही के नए ठिकाने भी बन सकते हैं।

कुल मिलाकर, यह कदम सिर्फ़ एक तकनीकी फेरबदल नहीं, बल्कि बिहार के शहरी तंत्र में सत्ता का नया नक्शा बनाने जैसा हैजहां अब हर मोहल्ला, हर वार्ड, और हर ज़ोन अपनी अलग प्रशासनिक पहचान पाएगा। सियासतदानों के लिए यह एक नया मैदान-ए-जंग होगा, और आम जनता के लिए उम्मीद कि शायद अब उनके काम के लिए नगर निगम की लंबी गलियारों में भटकना न पड़े।