Patna Rain: पटना बना पानी-पानी का कैदी, बारिश ने निगल लिया शहर, रेल से लेकर रास्ते तक सब दरिया में तब्दील, इंतजामात की खुली पोल

Patna Rainपटना पर खुदा की रहमत अब कहर में तब्दील होती नज़र आ रही है। बीते 36 घंटे की मूसलधार बारिश ने शहर की सूरत को ऐसा बदल डाला कि सड़कें नहीं, दरिया नज़र आने लगे। हर चौक-चौराहा, गली-कूचा और मोहल्ला मानो समंदर की आग़ोश में कै़द हो गया हो।

Patna Rain
पटना बना जलराजधानी, जनता त्रस्त- फोटो : social Media

Patna Rain:राजधानी पटना पर आसमानी आफ़त कुछ इस अंदाज़ में टूटी कि शहर की रूह कांप उठी। पिछले 36 घंटों से लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने शहर की सूरत को कुछ यूं बदल डाला कि हर नुक्कड़, हर गली, हर चौक समंदर की गोद में कै़द नज़र आया। पटना मानो पानी की क़ैद में आ चुका हो एक ऐसा शहर, जहां न सड़क बची, न रास्ता, न रफ़्तार और न ही राहत।

पटना जंक्शन, जो कभी सैंकड़ों ट्रेनों की सरगर्मी से गूंजता था, अब एक वीरान तालाब बन चुका था। रेलवे ट्रैक जलमग्न, प्लेटफॉर्मों पर दो-दो फीट पानी, और हर तरफ़ हाहाकार! डाकबंगला चौराहा—जहां से शहर की रफ्तार दौड़ती हैअब चार फीट गहरे पानी में डूबा पड़ा है। कंकड़बाग और पटना सिटी की हालत भी कुछ कम दर्दनाक नहीं। इन इलाकों में अब भी 3 से 4 फीट तक पानी भरा हुआ है।

सोमवार की सुबह जब सूरज की पहली किरण झांकने को हुई, पटना जंक्शन का इलेक्ट्रिक सिग्नल सिस्टम पहले ही घुटनों पर था। जलजमाव से हुए शॉर्ट सर्किट ने पूरे सिस्टम को ठप कर दिया। करीब 9 घंटे तक न कोई ट्रेन आ सकी, न कोई रवाना हो सकी। तेजस एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति, श्रमजीवी, बिक्रमशिला और मगध जैसी नामचीन ट्रेनों को मैन्युअली प्लेटफॉर्म पर लाया गया। पटना से खुलने वाली राजरानी एक्सप्रेस को मजबूरन राजेंद्र नगर टर्मिनल से रवाना करना पड़ा।

सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक आने वाली तमाम ट्रेनें या तो रद्द हुईं या घंटों देरी से चल सकीं। भीगे प्लेटफॉर्म पर इंतज़ार करती भीड़, छत से टपकता पानी और चारों ओर बदहाली—पटना का यह मंजर किसी त्रासदी से कम नहीं था। लगभग 20 हज़ार यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

बुडको और नगर निगम की तैयारियों की असलियत बारिश ने बहा डाली। "इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर" में बनाया गया विशेष कंट्रोल रूम, जो जलजमाव वाले इलाकों की निगरानी करने को बनाया गया था, वह महज़ एक दिखावा साबित हुआ। 16 निगरानी कैमरे लगाए गए थे, मगर जब ज़रूरत पड़ी, तब ये कैमरे भी ख़ामोश हो गए।

भवन निर्माण निगम के रिटायर्ड एग्जीक्यूटिव इंजीनियर महेंद्र प्रसाद ने साफ कहा—“यह हालात अचानक नहीं बने, बल्कि निगम की लापरवाही और ग़ैरज़िम्मेदारी का नतीजा हैं।” कई इलाकों में अस्थायी पंप की कोई व्यवस्था नहीं थी और जहां पंप लगाए भी गए थे, वे काम नहीं कर रहे थे।नालों की सफ़ाई अधूरी, निर्माण सामग्री जैसे ईंट, बालू और गिट्टी को सड़कों पर बेतरतीब छोड़ना, जलनिकासी को पूरी तरह रोक देता है। नतीजा नालों का चोक होना, गंदगी का अंबार और हर तरफ़ पानी का तांडव!बिहार में मानसून अब अपने पूरे वेग में है। मौसम विभाग ने आज पूरे राज्य के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। पटना समेत 15 जिलों में ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है, वहीं वैशाली, मुज़फ्फरपुर, बेगूसराय, नालंदा जैसे ज़िलों में भी तेज़ बारिश और 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की चेतावनी दी गई है।

बारिश के बाद पटना का तापमान 4 डिग्री तक गिर चुका है। ट्रेन के साथ-साथ हवाई उड़ानों पर भी इसका असर पड़ा है। नालंदा में बिहार शरीफ-रांची रोड पूरी तरह जलमग्न हो गया है, जिससे आवागमन ठप हो गया है।

पटना नगर निगम ने दावा किया था कि 364 पंप जलनिकासी के लिए तैनात हैं, जिनमें से 265 इलेक्ट्रिक और 99 डीज़ल पंप हैं। इनमें से 256 पंप स्थायी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन (DPS) और 83 अस्थायी DPS पर लगाए गए हैं। मगर हक़ीक़त ये है कि कई पंप काम ही नहीं कर रहे। कुछ जगह तो पंप लगाने की नौबत ही नहीं आई, और जहां लगाए गए, वहां समय पर चालू नहीं हुए।

पटना पर खुदा की रहमत अब कहर में तब्दील होती नज़र आ रही है। बीते 36 घंटे की मूसलधार बारिश ने शहर की सूरत को ऐसा बदल डाला कि सड़कें नहीं, दरिया नज़र आने लगे। हर चौक-चौराहा, गली-कूचा और मोहल्ला मानो समंदर की आग़ोश में कै़द हो गया हो। पटना जंक्शन के बाहर दो फ़ीट तक पानी, डाकबंगला चौराहे पर चार फ़ीट की जलराशिये नज़ारा किसी क़यामत से कम नहीं।

रेल की पटरी पानी में डूबी, इलेक्ट्रिक सिग्नल सिस्टम 9 घंटे तक ख़ामोश रहा। तेजस, संपूर्ण क्रांति, मगध जैसी नामचीन ट्रेनें मैनुअली प्लेटफ़ॉर्म तक लानी पड़ीं। यात्रियों की तादाद बीस हज़ार से पार—हर कोई परेशान, बेबस और बेहाल। शेड से टपकते पानी ने उन्हें पूरी तरह भीगो दिया।

नगर निगम के वादे बारिश के सैलाब में बह गए। जिन कैमरों से शहर की निगरानी होनी थी, वो भी नाकाम निकले। नालों पर पड़ा मलबा, अवैज्ञानिक निर्माण, ख़राब पंप—हर एक ने हालात को बद से बदतर बना डाला।

बारिश ने केवल शहर की रफ़्तार ही नहीं रोकी, बल्के सिस्टम की नालायकी को भी बेपर्दा कर दिया। मौसम विभाग की चेतावनी अभी भी बरक़रार है—आने वाले 48 घंटे और भी भारी साबित हो सकते हैं। आकाशीय बिजली, तेज़ हवाएं और रुक-रुक कर बरसता पानी अब भी कहर ढा सकता है।