Bihar bus fare subsidy: त्योहारों पर सरकार का तोहफ़ा, बस किराये में मिलेगी इतनी सब्सिडी, 24 करोड़ नीतीश सरकार ने किया मंजूर

दशहरा, दीपावली, छठ और होली जैसे बड़े पर्वों पर राज्य से बाहर काम करने वाले मज़दूर और घर वापसी करने वाले मुसाफ़िरों को राहत देने के लिए सरकार ने 24 करोड़ 06 लाख 36 हज़ार रुपये की मंज़ूरी दी है। ...

Government s gift on festivals subsidy
त्योहारों पर सरकार का तोहफ़ा- फोटो : social Media

Bihar bus fare subsidy: बिहार की सियासत और सरकार की तरक्क़ीपसंद नीतियों के बीच एक अहम ऐलान हुआ है। दशहरा, दीपावली, छठ और होली जैसे बड़े पर्वों पर राज्य से बाहर काम करने वाले मज़दूर और घर वापसी करने वाले मुसाफ़िरों को राहत देने के लिए सरकार ने 24 करोड़ 06 लाख 36 हज़ार रुपये की मंज़ूरी दी है। यह रक़म त्योहारों के मौसम में अंतरराज्यीय बस परिचालन पर दी जाने वाली विशेष छूट के लिए इस्तेमाल होगी।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बयान देते हुए कहा कि वर्ष 2025-26 में लोक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत चलने वाली डीलक्स नॉन एसी, डीलक्स एसी और डीलक्स स्लीपर एसी बसों पर यात्रियों को राहत दी जाएगी। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम ने इस योजना की लागत का अनुमान लगभग 24.06 करोड़ रुपये लगाया था। लेकिन मौजूदा बजट मद में केवल 10 करोड़ का ही प्रावधान था, लिहाज़ा शेष राशि बिहार आकस्मिकता निधि  से अग्रिम तौर पर उपलब्ध कराई जाएगी।

यह कदम सीधा संदेश देता है कि सरकार आम अवाम की जेब पर भार कम करने और त्योहारों की रौनक को बिना रुकावट बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है। सियासी हलक़ों में इसे ‘जन-सरकार की निकटता’ के तौर पर देखा जा रहा है। विपक्ष भले ही इसे चुनावी तैयारी का हिस्सा बताए, लेकिन हक़ीक़त यह है कि बिहार जैसे प्रवासी-प्रधान प्रदेश में इस राहत का बड़ा असर होगा।

यही नहीं, सरकार ने औद्योगिक विकास की दिशा में भी क़दम बढ़ाए हैं। मुज़फ़्फ़रपुर के बेला औद्योगिक क्षेत्र में 23.36 करोड़ रुपये के निवेश से एक रेडिमेड गारमेंट्स इकाई को मंज़ूरी दी गई है। ‘मेसर्स गो ग्रीन एपेरल लिमिटेड’ नामक यह इकाई प्रतिवर्ष 55 लाख पीस तैयार करने की क्षमता रखेगी। इससे न सिर्फ़ स्थानीय रोज़गार को बल मिलेगा, बल्कि बिहार की औद्योगिक छवि को भी नई पहचान मिलेगी।

कुल मिलाकर, त्योहारों पर किराये में सब्सिडी और उद्योग में निवेश का यह पैकेज जनता को राहत और राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला साबित होगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं एक ओर जनता की भावनाओं को साधना और दूसरी ओर निवेश का माहौल बनाना। यही वजह है कि इस घोषणा ने बिहार की सियासी ज़मीन पर हलचल पैदा कर दी है।