Bihar Women Employment Scheme:मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की आज पहली किस्त जारी करेंगे नीतीश कुमार , बिहार की 50 लाख महिलाओं को 10-10 हजार की सहायता
Bihar Women Employment Scheme: मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत राज्य की लगभग 50 लाख महिलाओं के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से 10-10 हज़ार रुपये की पहली किस्त भेजी जाएगी।

Bihar Women Employment Scheme: बिहार की सियासत में आज का दिन ऐतिहासिक माना जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उस वक़्त नई तहरीर लिख दी जब उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत राज्य की लगभग 50 लाख महिलाओं के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से 10-10 हज़ार रुपये की पहली किस्त भेजी जाएगी। कुल 5 हज़ार करोड़ रुपये का यह वितरण ‘आर्थिक आज़ादी’ की ओर एक बड़ा क़दम माना जा रहा है।
राजधानी पटना से लेकर सूबे के हर कोने तक इस मौके को उत्सव की शक्ल दी गई है। मुख्यमंत्री स्वयं सोमवार को सुबह 11 बजे आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम से राशि ट्रांसफर करेंगे, जिसका सीधा प्रसारण न केवल ज़िला मुख्यालयों तक बल्कि पंचायत स्तर तक किया जाएगा। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने सभी जिलों के डीएम को साफ़ निर्देश दिए हैं कि इसे उत्सव के तौर पर मनाया जाए, ताकि जन-जन तक सरकार का संदेश पहुंचे और महिलाओं में आत्मविश्वास की नई लहर दौड़े।
संगठन से लेकर पंचायत तक उत्सव का माहौल
इस योजना की ख़ासियत यह है कि इसे जनभागीदारी और सामूहिक चेतना से जोड़ा गया है।सभी 38 जिला मुख्यालयों पर डीएम की अध्यक्षता में बड़े कार्यक्रम होंगे, जिनमें हज़ारों महिलाएं और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।534 प्रखंड मुख्यालयों में बीडीओ की अध्यक्षता में समारोह होगा, जिसमें कम से कम 500 महिलाएं भाग लेंगी।1680 संकुल स्तरीय संघों और 70 हज़ार ग्राम संगठनों में भी लाइव प्रसारण और उत्सव की व्यवस्था की गई है।
जीविका समूह से जुड़ी दीदियों को इस योजना में केंद्रीय भूमिका दी गई है। दरअसल, स्वयं सहायता समूह (SHG) ही इस योजना का मज़बूत आधार हैं, जो गांव-गांव में महिलाओं को संगठित कर आत्मनिर्भरता का संदेश देते आ रहे हैं।
योजना का असल मक़सद
सरकार का दावा है कि यह योजना केवल आर्थिक मदद भर नहीं है, बल्कि सशक्तिकरण का असली औज़ार है। 10 हज़ार की यह पहली किस्त महिलाओं को छोटे-मोटे स्वरोज़गार, खेती, पशुपालन, सिलाई-बुनाई, हस्तशिल्प या किसी भी व्यापार की शुरुआत के लिए प्रेरित करेगी। लंबे समय से परिवार की मजबूरियों और तंगहाली से जूझ रही महिलाओं को इससे राहत तो मिलेगी ही, साथ ही वे अपने परिवार को भी संबल प्रदान कर सकेंगी।
गांव की दीदी अगर सिलाई मशीन खरीदकर काम शुरू करती है, तो इसका असर सीधे उनके बच्चों की पढ़ाई और घर की रसोई पर पड़ेगा। यह योजना दरअसल परिवार की अर्थव्यवस्था को महिला के हाथ में सौंपने का एक अभिनव प्रयोग है।
कितनी दीदियों ने किया आवेदन
सरकार के आंकड़ों के अनुसार अब तक लगभग 1 करोड़ 5 लाख महिलाओं ने इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। वहीं, 1 लाख 40 हज़ार से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के लिए आवेदन कर चुकी हैं। यह साफ़ इशारा करता है कि ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों की महिलाएं इस योजना को लेकर उत्साहित हैं।
योजना का लाभ वही महिलाएं उठा पाएंगी, जिनकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच है और जिनके पति या परिवार के अन्य सदस्य आयकरदाता या सरकारी नौकरी में नहीं हैं। अविवाहित महिलाएं जिनके माता-पिता नहीं हैं, वे भी इस योजना में शामिल की गई हैं।
सियासी मायने और विपक्ष की निगाह
सियासी गलियारों में इस योजना को महिला वोट बैंक साधने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि नीतीश सरकार महिलाओं को ‘चुनावी मोहरा’ बना रही है। वहीं सत्ता पक्ष इसे ‘सुशासन’ और ‘समावेशी विकास’ का हिस्सा बता रहा है। जानकारों का मानना है कि जिस राज्य से बड़ी संख्या में पुरुष रोज़गार की तलाश में बाहर जाते हैं, वहां महिलाएं ही असली सामाजिक और आर्थिक धुरी हैं। लिहाज़ा, अगर महिलाएं मज़बूत होंगी तो पूरा बिहार मज़बूत होगा।
जनआंदोलन की शक्ल
ग्राम पंचायत से लेकर जिला मुख्यालय तक इस योजना का जिस तरह से आयोजन किया गया है, उससे यह साफ़ है कि सरकार इसे महज़ एक आर्थिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनआंदोलन की शक्ल देना चाहती है। महिलाओं के बीच उत्साह देखकर लगता है कि यह योजना न केवल उनके रोज़गार का आधार बनेगी, बल्कि समाज में उनकी हैसियत और इज़्ज़त को भी नई ऊंचाई देगी।
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को लेकर बिहार ने जो पहल की है, वह दरअसल आर्थिक न्याय और सामाजिक बदलाव की दिशा में बड़ी छलांग है। सत्ता पक्ष इसे ‘नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक’ बता रहा है, तो विपक्ष इसे ‘चुनावी शगूफ़ा’ कहकर खारिज कर रहा है। लेकिन एक बात तय है कि 50 लाख महिलाओं के बैंक खातों में सीधे पहुंची यह राशि उनके जीवन की तस्वीर बदलने का सामर्थ्य रखती है।