बिहार के आम उत्पादकों की किस्मत चमकाएगा पटना हाईकोर्ट! निर्यात और उचित मूल्य पर सरकार से माँगी प्रगति रिपोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने राज्य के आम उत्पादकों को फसल की सही कीमत न मिलने और निर्यात के लिए बुनियादी ढांचे की कमी पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक ठोस प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
Patna - पटना हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने अधिवक्ता डॉ. मौर्य विजय चंद्र द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं। अदालत ने सरकार से पूछा है कि आम उत्पादकों के हित में अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से राज्य सरकार को अगली सुनवाई में 'प्रोग्रेस रिपोर्ट' प्रस्तुत करने का आदेश दिया है, ताकि यह पता चल सके कि कागजी दावों के उलट धरातल पर क्या काम हुआ है।
भागलपुर और पश्चिम चम्पारण पर विशेष नजर
पिछली सुनवाई का हवाला देते हुए कोर्ट ने विशेष रूप से भागलपुर और पश्चिम चम्पारण जिलों में की जा रही कार्रवाइयों का ब्यौरा मांगा है। ये क्षेत्र बिहार के प्रमुख आम उत्पादक बेल्ट माने जाते हैं। अदालत यह जानना चाहती है कि इन क्षेत्रों में किसानों को वैज्ञानिक प्रबंधन और बेहतर किस्मों के उत्पादन के लिए किस प्रकार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सरकार को इन विशिष्ट जिलों में बुनियादी ढांचे के विकास की वर्तमान स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
निर्यात और आधारभूत संरचना का अभाव
याचिकाकर्ता डॉ. मौर्य विजय चंद्र ने कोर्ट को बताया कि बिहार में उत्तम श्रेणी के आम का उत्पादन होने के बावजूद किसानों को उनकी लागत तक नहीं मिल पा रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के आमों की भारी मांग है, लेकिन कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट और विदेशों में निर्यात के लिए जरूरी 'इंफ्रास्ट्रक्चर' के अभाव में किसान पिछड़ रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यदि सरकार निर्यात की सुदृढ़ व्यवस्था करे, तो किसानों की आय दोगुनी हो सकती है और देश को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी।
सरकार के दावों की जमीनी हकीकत
राज्य सरकार की ओर से दायर जवाब में बताया गया कि आम की पैकेजिंग, बेहतर मार्केटिंग और किसानों के प्रशिक्षण के लिए कार्य योजनाएं बनाई जा रही हैं। सरकार का दावा है कि किसानों को वैज्ञानिक तरीके सिखाए जा रहे हैं ताकि फसल की गुणवत्ता वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। हालांकि, याचिकाकर्ता ने इन दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि फरवरी 2023 से मांगी गई जानकारियों पर सरकार ने अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है और सरकारी उदासीनता के कारण उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है।
जनवरी 2026 में होगी अगली निर्णायक सुनवाई
कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2026 में तय की है। तब तक सरकार को बुनियादी ढांचे के विकास, किसानों के प्रशिक्षण की व्यवस्था और निर्यात के लिए की गई कार्रवाई का पूरा कच्चा-चिट्ठा पेश करना होगा। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से ही बिहार के आमों को वैश्विक बाजार मिल सकता है, जिससे न केवल किसानों का आर्थिक स्तर सुधरेगा बल्कि बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती मिलेगी।