Patna High Court decision: पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! बिना आरोप गाड़ी जब्त और नीलामी पर मालिक को मिले 16 लाख रुपये का मुआवज़ा
Patna High Court decision: पटना हाईकोर्ट ने बिना आरोप गाड़ी जब्त और 2.2 लाख में नीलाम करने पर राज्य सरकार को गाड़ी मालिक को 16 लाख रुपये देने का आदेश दिया। गाड़ी की बीमा राशि 21 लाख थी।

Patna High Court decision: पटना हाई कोर्ट ने गाड़ी मालिक पर किसी प्रकार का आरोप नहीं होने के बावजूद गाड़ी को जब्त कर नीलाम किये जाने पर राज्य सरकार को गाड़ी मालिक को 16 लाख रुपये देने का आदेश दिया है।कोर्ट ने कहा कि गाड़ी से 477 लीटर विदेशी शराब जप्त करने के आरोप में गाड़ी को जब्त कर महज 2 .2 लाख रुपये में नीलाम कर दिया गया,जबकि गाड़ी जब्ती के समय गाड़ी का बीमा मूल्य 21 लाख रुपये था।
कोर्ट ने गाड़ी मालिक को गाड़ी छोड़ने के लिए पांच लाख रुपये सम्बंधित अधिकारी के पास जमा करने का आदेश दिया।साथ ही रुपया जमा करने का रसीद हाई कोर्ट के महानिबंधक के पास जमा करने पर 21 लाख रुपए देने का आदेश दिया।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पांच लाख रुपये जमा नहीं किये जाने पर पांच लाख रुपया काट कर 16 लाख रुपये देने का आदेश दिया।एक्टिंग चीफ जस्टिस पीबी बजन्थरी और जस्टिस शशि भूषण प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने महाराष्ट्र के गाड़ी मालिक शरद नवनाथ गंगे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
गाड़ी से 477 लीटर विदेशी शराब जब्त
गौरतलब है कि 26 दिसम्बर, 2022 को गाड़ी से 477 लीटर विदेशी शराब जब्त करने के आरोप में गाड़ी को जब्त कर पातेपुर कांड संख्या 346/22 दर्ज कर कार्रवाई शुरू की गई। लेकिन गाड़ी मालिक को कार्रवाई का नोटिस नहीं दिया गया।महुआ एसडीओ के 29 सितम्बर, 2023 के आदेश से गाड़ी को 2.2 लाख में नीलाम कर दिया गया।जबकि गाड़ी को किराया पर राजस्थान के जोगा राम को दिया गया था।
गाड़ी मालिक को घटना की सूचना दी गई
गाड़ी जब्त होने के तीन माह बाद गाड़ी मालिक को इस घटना की सूचना दी गई।कोर्ट का कहना था कि अदालती आदेश के आलोक में गृह विभाग सह उत्पाद निषेध के एसीएस की ओर से जिलाधिकारी, पुलिस अधिकारी और उत्पाद अधिकारियों को जारी निर्देश में कहा गया कि जिस गाड़ी से शराब की बरामदी नहीं हो, तो उसे जब्त नहीं किया जाये।
शराब पी कर गाड़ी चलाने की स्थिति
शराब पी कर गाड़ी चलाने की स्थिति में और गाड़ी से शराब नहीं पाये जाने पर गाड़ी को जब्त नहीं किया जाये।इस मामलें में गाड़ी मालिक महाराष्ट्र के हैं और उन्हें नोटिस नहीं भेजा गया। यही नहीं, गाड़ी नीलामी का सूचना बिहार के समाचार पत्र में दिया गया। कोर्ट ने विभाग के कार्रवाई से नाराज हो कर विभाग के प्रधान सचिव को अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और 21 लाख रुपए जमा करने का आदेश दिया।इस आदेश की वैधता को विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।सुप्रीम कोर्ट ने विभाग के अर्जी को खारिज कर दिया।
पटना से आनंद की रिपोर्ट