Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट ने सिवान के भूमि सुधार कार्यकर्त्ता विरेन्द्र ठाकुर और परिजनों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का दिया आदेश, भू माफियाओं से बताया था जान का खतरा
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PATNA : पटना हाई कोर्ट ने भूमि सुधार कार्यकर्ता और राज्य के चर्चित अतिक्रमण अवमाननावाद दायर करने वाले वीरेंद्र ठाकुर व उनके परिजनों को अविलंब सुरक्षा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब दायर करने का निर्देश दिया है। इस मामले में एसपी सीवान को सुरक्षा के लिए एडीजी (सुरक्षा), को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए अनुशंसा करेंगे। साथ ही पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से हाई कोर्ट में शपथ पत्र देने को कहा है। जस्टिस संदीप कुमार ने इस मामलें की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है।
वीरेंद्र ठाकुर ने भू माफियाओं व अतिक्रमणकारियों से खतरा बताते हुए राज्य के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव से लेकर जिले के डीएम एसपी से गुहार लगाई थी। मगर कोई सुनवाई नहीं होने की स्थिति में एक याचिका दायर कर सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध हाई कोर्ट से किया था। इधर अतिक्रमणकारी हाई कोर्ट से अवमाननावाद वापस लेने के लिए लगातार धमकी और स्थानीय प्रशासन से मिलीभगत कर दबाव बना रहे थे। इसके बाद हाई कोर्ट में वीरेंद्र ठाकुर ने याचिका दायर किया। हालांकि इस बीच वीरेंद्र ठाकुर के बेटे राजकुमार ठाकुर की हत्या साजिश कर दी गई। करीब 85 साल के बुजुर्ग वीरेंद्र ठाकुर आरोपी और स्थानीय पुलिस के सांठगांठ को लेकर एसपी सीवान से लेकर डीजीपी बिहार को आवेदन देते रहे हैं,मगर आरोपी स्थानीय पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। इसके बाद याचिकाकर्ता वीरेंद्र ठाकुर ने क्रिमिनल रिट में पूरक हलफनामा दायर किया, जिसके बाद हाई कोर्ट ने एसपी सिवान को सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। सीवान जिले के दारौंदा पिपरा के रहने वाले वीरेंद्र ठाकुर ने सौ एकड़ से ज्यादा बेनामी जमीन बिहार सरकार को उपलब्ध कराया था। इसे भूमिहीनों के बीच वितरित करना था। इसके लिए बिहार सरकार ने उन्हें 1986 में पुरस्कृत किया था। इसके बाद भू माफिया इनके दुश्मन बन गये। इन्होंने 2009 से लगातार दारौंदा बाजार, श्मसान और दारौंदा प्रखंड कार्यालय की जमीन अतिक्रमण मुक्त करने बाजार की जमीन पर सरकारी दूकान बनाने के लिए जिला पदाधिकारी से लेकर राजस्व विभाग को आवेदन दिया कि सरकार बाजार की भूमि पर सरकारी दूकान बनवाकर दे। इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को कम कीमत पर दूकान भी मिल जायेगा। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण नहीं रुका।
इसके बाद वीरेंद्र ठाकुर ने हाईकोर्ट में सरकारी भूमि मुक्त करने के लिए पीआईएल दायर किया। इस रिट की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अतिक्रमण हटवाने का आदेश प्रशासन को दिया। मगर प्रशासन अतिक्रमण हटवाने में विफल रहा। अतिक्रमण हटने के बजाय कई नये शॉपिंग कंप्लेक्स बन गये। हाई कोर्ट के इस आदेश के अवमानना के बाद वीरेंद्र ठाकुर ने हाई कोर्ट में अवमानना वाद दायर किया। हाई कोर्ट ने 2017 से लेकर 2023 तक अतिक्रमण हटाने में विफल रहने पर पहले जिला पदाधिकारी और अंचल पदाधिकारी पर जमानती वारंट जारी किया। वारंट के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटा, कोर्ट ने जिला पदाधिकारी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के नाम पर कुछ दुकानों को हटवा दिया। मगर मुख्य अतिक्रमणकारी का अतिक्रमण हटाने में प्रशासन नाकाम रहा। हाई कोर्ट ने जो समय सीमा अतिक्रमण हटाने के लिए तय किया था,वह भी छह महीना पहले ही पूरा हो गया है। आज भी सरकार की जमीन पर अतिक्रमण बरकरार है। जो आदेश कोर्ट ने दिया है, इस पर पहले ही जिला प्रशासन को संज्ञान ले लेना चाहिए था।इस मामलें की सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।