Patna highcourt - युवक की हत्या करनेवाले डीएसपी के खिलाफ अब सीबीआई करेगी जांच, पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बिहार पुलिस को दिया यह आदेश

Patna highcourt - चार युवकों को गोली मारनेवाले ट्रैफिक डीएसपी के खिलाफ चल रही जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। इस मामले में आज पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।

Patna highcourt - युवक की हत्या करनेवाले डीएसपी के खिलाफ अब

Patna - पटना हाई कोर्ट ने सासाराम में भरे लोगों के बीच अपनी सर्विस रिवॉल्वर से निर्दोष युवकों पर अंधाधुंध  गोली दागकर एक युवक की हत्या व चार युवकों को गंभीर रूप से जख्मी करने के आरोपी एक पुलिस डीएसपी और उसके बॉडीगार्ड की गिरफ्तारी नहीं होने के मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने निष्पक्ष व त्वरित अनुसंधान हेतु सीबीआई के पुलिस अधीक्षक को केस दर्ज करने का आदेश दिया। 

पिछले साल का मामला

   ये मामला सासाराम टाउन थाना कांड संख्या 1040/2024 समेत दो अन्य प्राथमिकी सासाराम टाउन पी एस केस  नंबर 1038 और 1039/2024 से जुड़ा हुआ है। ये प्राथमिकी से जुड़े सभी सबूतों को भी अनुसंधान के लिए सौंपने का आदेश बिहार पुलिस को दिया गया है। 

कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

जस्टिस संदीप कुमार की एकल पीठ ने राणा राहुल सिंह की अपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। इसके पूर्व कोर्ट ने मामले की  सुनवाई करते हुए कड़ी नाराजगी जताते हुए पूछा था कि इस देश में कानून सब के लिए एक है या अलग अलग ? 

चार युवकों को मारी थी गोली

यह  मामला रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम स्थित टाउन थाना का है। 27 दिसंबर, 2024 की रात को सुधीर, अतुल, विकास, अनिकेत विनोद और राणा ओम प्रकाश, अपने दोस्त शिवम सिंह की जन्मदिन पार्टी मना रहे थे। करीब रात्रि 9 बजे सासाराम के   तत्कालीन ट्रैफिक डीएसपी आदिल बिलाल और उसके बॉडीगार्ड चंद्रमौली नागिया आकर इन युवकों के साथ बकझक करने लगे। 

बातों बात में अचानक आदिल और उसके सुरक्षा गार्ड ने अपने सर्विस रिवॉल्वर से अधाधुंध फायरिंग करने लगे। इसमें चार युवक गंभीर रूप से जख्मी हुए, तो एक युवक ओम प्रकाश पुलिस की गोलियों से मर गया। 

आरोपी डीेएसपी को बचाने का आरोप

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजय कुमार सिंह का कहना था कि पूरा सिस्टम अधिकारियों को बचाने में लगा हुआ है। मामले को राज्य विधान परिषद में भी उठाया गया था।   हत्याकांड भरे पब्लिक के बीच में हुई थी। अगले दिन टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज हुई, लेकिन पुलिस सही और निष्पक्ष तरीके के अनुसंधान नहीं कर रही है। घटना के सात महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी राज्य की पुलिस हाथ धरे बैठी है।