17 साल बाद दारोगा बनने का रास्ता साफ , पटना हाईकोर्ट का ऐतिहासिक आदेश, 6 हफ्तों में बहाली प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश
Patna High Court: बिहार में सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे 252 अभ्यर्थियों के चेहरे पर आखिरकार मुस्कान लौट आई है। पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह 6 हफ्तों के भीतर इन अभ्यर्थियों की बहाली प्रक्रिया पूरी करे।

Patna High Court : बिहार में सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे 252 अभ्यर्थियों के चेहरे पर आखिरकार मुस्कान लौट आई है। पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह 6 हफ्तों के भीतर इन अभ्यर्थियों की बहाली प्रक्रिया पूरी करे।
जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की एकलपीठ ने 29 पन्नों के विस्तृत आदेश में साफ कहा कि जब 2008 के परिणाम में शामिल 133 अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बहाली मिल सकती है, तो इन 252 अभ्यर्थियों को भी समान अवसर और अधिकार मिलना चाहिए।
2004 में विज्ञापन संख्या 704/2004 के तहत 1510 सब इंस्पेक्टर पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई।30 मई 2008 को परिणाम घोषित हुआ, लेकिन मॉडल प्रश्नों में गड़बड़ी सामने आने से मामला कोर्ट तक पहुंचा।विशेषज्ञ समिति से पुनर्मूल्यांकन हुआ, जिससे 160 चयनित अभ्यर्थियों को हटाना पड़ा।राज्य सरकार ने हटाए गए अभ्यर्थियों को भी बनाए रखा और इस बीच नए 299 पदों पर अधियाचना आई।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि परीक्षा दोबारा हो और इसमें केवल वही अभ्यर्थी शामिल हों जिन्होंने केस दायर किया था।223 अभ्यर्थियों को फिर से शारीरिक और लिखित परीक्षा का मौका मिला।8 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 133 अभ्यर्थियों को सिर्फ मेडिकल फिटनेस टेस्ट देने का निर्देश दिया और उनकी नियुक्ति हो गई।
हाईकोर्ट ने पाया कि जिन 252 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है, उन्हें 133 चयनित उम्मीदवारों से भी अधिक अंक प्राप्त थे। ऐसे में इन्हें बाहर रखना समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि जब बाद के वर्षों (2023 और 2024) में भी नियुक्तियां दी गईं, तो अब इन अभ्यर्थियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को 6 हफ्तों में बहाली प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
17 साल की कानूनी लड़ाई और बेरोजगारी का दर्द झेल चुके ये अभ्यर्थी अब आखिरकार वर्दी पहनने की दहलीज पर हैं। अदालत का यह आदेश न सिर्फ उनके लिए न्याय की जीत है बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी भर्ती प्रक्रिया में वर्षों तक लटकाव और लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी बन सकती है।