Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने पटना नगर निगम के वार्ड नंबर 22 ए की पार्षद सुशीला कुमारी के पक्ष में आए जाति विनिश्चयन समिति के आदेश पर रोक लगा दी है। यह फैसला न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा की एकलपीठ ने सुनाया। यह रोक उमेश कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दी गई है। कोर्ट ने आंशिक सुनवाई के बाद उमेश कुमार को अंतरिम राहत प्रदान की है।
क्या है मामला?
उमेश कुमार के वकील रूपेश कुमार तिवारी ने कोर्ट को बताया कि सुशीला कुमारी ने पटना नगर निगम वार्ड नंबर 22 ए से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। आरोप है कि उन्होंने धर्म बदलकर अनुसूचित जाति से चुनाव लड़ा और यह मामला अब राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष सुनवाई में है। आयोग ने इस मामले को जाति विनिश्चयन समिति के पास भेज दिया था।
जाति विनिश्चयन समिति के आदेश पर विवाद
उमेश कुमार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि जाति विनिश्चयन समिति ने कुमारी माधुरी पाटिल मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया। समिति ने मामले की जांच विजिलेंस इंस्पेक्टर से न कराकर, लोकल थाने से करवाई, जो कि गाइडलाइंस का उल्लंघन है। इसी आदेश को चुनौती देते हुए उमेश कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट का आदेश
पटना हाईकोर्ट ने जाति विनिश्चयन समिति के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि मामले की पूरी जांच और सुनवाई के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। फिलहाल, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत प्रदान की है।
पटना से अनिल की रिपोर्ट