Patna metro news:पटना मेट्रो पर स्पीड लिमिट, 40 की रफ्तार और वॉकी-टॉकी पर निर्भर सफर, बस टर्मिनल से भूतनाथ आधे घंटे में

लंबे इंतज़ार के बाद राजधानी को मेट्रो की सौगात मिलने जा रही है, लेकिन शुरुआत में यह रफ्तार से ज्यादा प्रतीकात्मक होगी। ..

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पटना मेट्रो पर स्पीड लिमिट- फोटो : social Media

Patna metro news: बिहार की राजनीति में विकास का सबसे बड़ा प्रतीक अब पटना मेट्रो बनती जा रही है। लंबे इंतज़ार के बाद राजधानी को मेट्रो की सौगात मिलने जा रही है, लेकिन शुरुआत में यह रफ्तार से ज्यादा प्रतीकात्मक होगी। न्यू पाटलिपुत्र बस टर्मिनल से लेकर भूतनाथ स्टेशन तक रेड लाइन पर मेट्रो अधिकतम 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही दौड़ेगी। रेलवे से मंजूरी मिल चुकी है और संभावना जताई जा रही है कि 29 सितंबर को इसका उद्घाटन होगा। हालाँकि, इसकी अंतिम मुहर प्रधानमंत्री कार्यालय से लगनी बाकी है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो यह बिहार की सत्ता पर काबिज़ दलों के लिए चुनावी पूँजी साबित हो सकती है। विपक्ष सवाल उठाएगा कि जब औसत रफ्तार 80 तय थी तो वॉकी-टॉकी के सहारे 40 पर क्यों चलाना पड़ रहा है? लेकिन सत्ता पक्ष इसे “विकास की गाड़ी पटना के ट्रैक पर चढ़ गई” के नारे में बदल देगा।

असल में सिग्नलिंग सिस्टम का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। इसी वजह से पहले चरण में मेट्रो का संचालन वॉकी-टॉकी से करना पड़ेगा। यह तकनीकी मजबूरी भी है और राजनीतिक चुनौती भी। दिसंबर तक उम्मीद है कि मलाही पकड़ी स्टेशन तक मेट्रो का विस्तार होगा और सिग्नल व्यवस्था चालू होते ही रफ्तार भी दोगुनी हो जाएगी।

बिहार की कला और संस्कृति भी मेट्रो के हर कोच में सजीव होगी। कोच पर मधुबनी पेंटिंग, पटना का गोलघर, महावीर मंदिर और भगवान महावीर की झलक यात्रियों को यह अहसास दिलाएगी कि यह मेट्रो सिर्फ परिवहन का साधन नहीं बल्कि बिहार की पहचान भी है। तीन कोच वाली मेट्रो में लगभग 900 यात्रियों को ले जाने की क्षमता होगी।

फिलहाल बस टर्मिनल से भूतनाथ तक का सफ़र 25 से 30 मिनट में पूरा होगा। लेकिन सिग्नल व्यवस्था शुरू होने पर यही दूरी सिर्फ 10 से 15 मिनट में तय होगी। यानि शुरुआत भले ही धीमी हो, लेकिन राजनीतिक संदेश तेज़ और साफ़ है “पटना अब मेट्रो सिटी है।”