PMCH Controversy : डॉ.नरेन्द्र प्रताप सिंह ने नया पदभार ग्रहण करने से किया इंकार, पीएमसीएच में जूनियर को प्राचार्य बनाने से बढ़ा विवाद, न्याय हेतु लगाई गुहार

PMCH Controversy : सूबे के सबसे बड़े अस्पताल में प्रिसिपल नियुक्ति का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा हैं. वरीयता क्रम में सबसे ऊपर नरेन्द्र प्रताप सिंह ने ट्रांसफर के बाद नया पदभार ग्रहण करने से इंकार कर दिया है....पढ़िए आगे

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प्राचार्य नियुक्ति का विवाद - फोटो : news4nation

PMCH : सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में प्रिंसिपल नियुक्ति का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पीएमसीएच में प्रिंसिपल नियुक्ति में वरीयता क्रम को दरकिनार किये जाने के कारण प्रिंसिपल नहीं बन पाने वाले डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह ने नए पद पर योगदान देने से असमर्थता जताई है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि वे पीएमसीएच में मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. 30 जून को उनका स्थानातरण स्वास्थ्य विभग के निदेशक प्रमुख (मानसिक रोग, आपदा प्रबंधन एवं खाद्य-औषधि नियंत्रण) के पद पर किया गया है. 

उन्होंने कहा कि वे इस पद पर योगदान देने में असमर्थ हैं. साथ ही स्थानांतरित किये जाने के पूर्व उनसे सहमति या परामर्श नहीं मांगी गई. डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वे मेडिकल एजुकेशन के साथ ही जुड़े रहना चाहेंगे. दरअसल, सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में प्रिंसिपल की नियुक्ति में वरीयता क्रम को दरकिनार करने की बातें सामने आई. 

30 जून को जारी अधिसूचना में डॉ कौशल किशोर को अतिरिक्त प्रभार देते हुए पटना मेडिकल कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त किया गया है. इतना ही नहीं उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज का वित्तीय प्रभार भी दिया गया है. हालांकि पीएमसीएच के प्राचार्य पद पर नियुक्त होने वाले डॉ कौशल किशोर वरीयता क्रम में जूनियर बताए जा रहे हैं. मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह वरीयता में शीर्ष पर थे. डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह की सेवानिवृत्ति भी 31 दिसम्बर 2026 है जबकि डॉ कौशल किशोर 31 जनवरी 2026 को सेवानिवृत्त होंगे. ऐसे में डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह पर डॉ कौशल किशोर को तरजीह देने से पीएमसीएच एक बार फिर विवादों में हैं. 

डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि नए प्राचार्य की नियुक्ति और उनके तबादला में स्पष्ट है कि वरीयता क्रम को दरकिनार किया गया है. प्रिंसिपल के रूप में नियुक्ति के क्रम में वही पदानुक्रम में शीर्ष पर थे. लेकिन उन्हें न केवल प्रिंसिपल के पद से दूर किया गया है बल्कि निदेशक प्रमुख बनाकर उन्हें पीएमसीएच से ही बाहर कर दिया गया है.