Bihar News: बिहार में प्राचार्यों की नियुक्ति में लॉटरी का तड़का, चपरासी बनेगा ‘लकी ड्रॉ’ का सितारा!
Bihar News: बिहार के कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति अब लॉटरी के रोमांचक खेल के साथ होगी। राजभवन ने इस अनूठी प्रक्रिया के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं

Bihar News: बिहार के कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति अब लॉटरी के रोमांचक खेल के साथ होगी। राजभवन ने इस अनूठी प्रक्रिया के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति अध्यक्ष, राज्यपाल द्वारा मनोनीत एक सदस्य और विश्वविद्यालय के कुलसचिव शामिल होंगे। यह जानकारी राज्यपाल के प्रधान सचिव आरएल चोंग्थू ने शुक्रवार को सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भेजे पत्र में दी।
लॉटरी सिस्टम: कैसे होगी नियुक्ति?
प्राचार्यों के पदस्थापन के लिए सबसे पहले सभी कॉलेजों की सूची अनुमंडलवार और अंग्रेजी वर्णक्रम के आधार पर तैयार की जाएगी। इसके बाद, बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित प्राचार्यों के नाम अलग-अलग पर्चियों पर लिखे जाएंगे। इन प्राचार्यों से उनके पसंदीदा अनुमंडल (न कि किसी विशिष्ट कॉलेज) का विकल्प लिया जाएगा। फिर, इन पर्चियों को एक डिब्बे में रखा जाएगा, और किसी कार्यालय परिचारी (चपरासी) या समकक्ष कर्मचारी द्वारा एक-एक पर्ची निकाली जाएगी। पर्ची में जिस प्राचार्य का नाम होगा, उसे अंग्रेजी वर्णक्रम में पहले कॉलेज का आवंटन होगा। यह प्रक्रिया तब तक चलेगी, जब तक सभी प्राचार्यों को कॉलेज आवंटित नहीं हो जाते।
चपरासी की अहम भूमिका
इस अनोखी प्रक्रिया में चपरासी का किरदार सबसे रोचक है। लॉटरी की पर्ची निकालने का जिम्मा इन्हीं पर होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रक्रिया में कोई मानवीय हस्तक्षेप न हो। राजभवन ने इस बात पर जोर दिया है कि कमेटी के सभी सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होगी, और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कर पारदर्शिता बनाए रखी जाएगी।
नियुक्ति प्रक्रिया में मानवीय पहलुओं का भी ध्यान रखा गया है। यदि पति-पत्नी दोनों किसी विश्वविद्यालय या सार्वजनिक सेवा में कार्यरत हैं, तो उन्हें एक ही स्थान पर पदस्थापन का विकल्प दिया जाएगा। इसके अलावा, यदि प्राचार्य या उनके आश्रित को कोई जीवन-घातक बीमारी है, तो स्व-घोषित शपथ पत्र या मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा के आधार पर विशेष विचार किया जाएगा। यदि आश्रित शारीरिक रूप से अक्षम हैं और प्राचार्य पर निर्भर हैं, तो भी उन्हें प्राथमिकता मिलेगी।
लॉटरी के दिन को एक भव्य आयोजन के रूप में मनाने की योजना है। इस दिन सांसद, विधायक, वीआईपी और अनुशंसित प्राचार्यों को आमंत्रित किया जाएगा। यह आयोजन न केवल नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि इसे एक उत्सव का रूप भी देगा।
बिहार के कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति का इंतजार लंबे समय से हो रहा है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 116 शिक्षकों को प्राचार्य पद के लिए योग्य घोषित किया है। कई विश्वविद्यालयों ने चयनित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के लिए काउंसिलिंग पूरी कर ली है, लेकिन पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और पटना विश्वविद्यालय में काउंसिलिंग की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
बिहार में प्राचार्यों की नियुक्ति की यह अनोखी प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता और निष्पक्षता का प्रतीक है, बल्कि लॉटरी सिस्टम और चपरासी की भूमिका इसे एक रोचक और चर्चित पहल बनाती है। अब देखना यह है कि यह प्रक्रिया कितनी सहजता से लागू होती है और बिहार के कॉलेजों में प्राचार्यों की कमी को कितनी जल्दी पूरा करती है।