Operation Sindoor: राहुल या मोदी, देश किसके हाथ में सुरक्षित, ऑपरेशन सिंदूर से सीजफायर तक, पहलगाम की राख से उठते विश्वास और विपक्ष के प्रश्न का सर्वे में मिल गया जवाब

Operation Sindoor: आईएएनएस मैटराइज द्वारा 9 मई 2025 से 15 मई 2025 के बीच किए गए एक सर्वे के अनुसार, 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत की गई कार्रवाई के बाद देश की जनता की राय है कि....

Operation Sindoor
राहुल या मोदी, देश किसके हाथ में सुरक्षित- फोटो : reporter

Operation Sindoor: 22 अप्रैल 2025—जम्मू-कश्मीर की सुरम्य घाटियों में जब वसंत अपनी कोमल छाया बिछा रहा था, तभी पहलगाम की शांत वादियों को आतंक की आग ने झुलसा दिया। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किए गए इस नृशंस हमले ने न केवल मासूमों की जान ली, बल्कि भारत के हृदय को भी गहरे आघात पहुँचा दिया। पूरा देश एक क्षण को सन्न रह गया, परंतु अगले ही क्षण राष्ट्र की प्रतिशोधी चेतना ने अंगड़ाई ली—और जन्म हुआ 'ऑपरेशन सिंदूर' का।

ऑपरेशन सिंदूर: आक्रोश की अग्नि से जला आतंक का अड्डा

भारतीय सेना ने अपने अद्वितीय पराक्रम का परिचय देते हुए पाकिस्तान की सरज़मीं पर मौजूद आतंक के उन किलों को ध्वस्त कर दिया, जहां से घृणा और हिंसा के बीज बोए जाते थे। यह अभियान केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति उसकी अडिग प्रतिबद्धता का ऐलान था। 'सिंदूर'—जो भारतीय नारी की मांग का प्रतीक है—उसका नाम देकर इस ऑपरेशन को मानो राष्ट्र की मर्यादा से जोड़ दिया गया।इस सशक्त प्रतिघात के बाद जब पूरे देश में जयकारों की गूंज थी और दुश्मन खेमें में खामोशी की लहर, तभी एक अप्रत्याशित निर्णय ने सबको चौंका दिया—भारत सरकार ने सीजफायर की घोषणा कर दी।

सीजफायर: शांति की चाह या रणनीतिक संयम?

जब देश युद्ध की गूंज में अपनी जीत देख रहा था, तब युद्धविराम की घोषणा कईयों के गले नहीं उतरी। विपक्ष ने इसे ‘रणनीतिक कमजोरी’ बताया, सोशल मीडिया पर सरकार के निर्णय पर सवाल उठे, और वहीं पाकिस्तान ने इस स्थिति को अपने हक में पलटने की कुटिल कोशिश की। ट्विटर से लेकर टेलीग्राम तक, पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा ने ‘भारत की हार, पाकिस्तान की जीत’ का राग अलापना शुरू कर दिया।

आईएएनएस-मैटराइज सर्वे: जनता की सोच, राष्ट्र की शक्ति

आईएएनएस मैटराइज द्वारा 9 मई 2025 से 15 मई 2025 के बीच किए गए एक सर्वे के अनुसार, 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत की गई कार्रवाई के बाद देश की जनता की राय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को सबक सिखाने में सबसे सक्षम नेता हैं।

इस सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि देश का कौन सा नेता पाकिस्तान को सबक सिखाने में सबसे सक्षम है, तो 70 प्रतिशत लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में जवाब दिया।अन्य नेताओं में, राहुल गांधी को 5 प्रतिशत, असदुद्दीन ओवैसी को 4 प्रतिशत, अखिलेश यादव को 3 प्रतिशत, अरविंद केजरीवाल को 2 प्रतिशत, ममता बनर्जी को 2 प्रतिशत, एम.के. स्टालिन को 1 प्रतिशत, नीतीश कुमार को 1 प्रतिशत, तेजस्वी यादव को 1 प्रतिशत, मल्लिकार्जुन खड़गे को 1 प्रतिशत, नवीन पटनायक को 1 प्रतिशत, अन्य को 1 प्रतिशत और 8 प्रतिशत लोगों ने 'पता नहीं या कह नहीं सकते' का विकल्प चुना।

यह सर्वे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद किया गया था।सर्वे में कुल 7,463 लोगों की राय ली गई, जिसमें सभी राज्यों को शामिल किया गया और इसमें गलती की संभावना (मार्जिन ऑफ एरर)  फीसदी थी।

इस पूरी घटनाक्रम के बीच, 9 मई से 15 मई 2025 के मध्य किए गए आईएएनएस-मैटराइज सर्वे ने जनता की वास्तविक सोच को सामने लाने का प्रयास किया। हजारों नागरिकों की राय से मिले परिणाम चौंकाने वाले तो हैं ही, प्रेरणादायक भी हैं।

सर्वे के अनुसार:

78% जनता ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का समर्थन करते हुए इसे भारत की ताकत और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक माना।65% नागरिकों ने सीजफायर को एक रणनीतिक कदम मानते हुए प्रधानमंत्री मोदी के फैसले को ‘राजनयिक चतुराई’ कहा।

वहीं, पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा को 90% लोगों ने खारिज करते हुए सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया।

प्रधानमंत्री मोदी: विश्व मंच पर एक सशक्त छवि

इस पूरे घटनाक्रम में एक बात और स्पष्ट हुई—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और कूटनीतिक क्षमता को लेकर जनता में विश्वास और भी गहराया है। विश्व पटल पर भारत की बढ़ती आवाज और आक्रामक-परंतु-संतुलित रुख ने एक नए भारत की छवि को रेखांकित किया है—वह भारत जो क्षमा करना जानता है, परंतु कमज़ोरी नहीं है।आज का भारत बंदूक से पहले बुद्धि और बल से जवाब देता है। 'ऑपरेशन सिंदूर' और उसके बाद लिए गए निर्णयों ने यह दर्शाया है कि राष्ट्र के नेता न केवल युद्धभूमि पर विजेता बनना जानते हैं, बल्कि संवाद की भूमि पर भी विजयी हो सकते हैं।विपक्ष का विरोध, सोशल मीडिया का शोर और पाकिस्तान का भ्रमजाल—इन सबके बीच जो एक बात अडिग खड़ी है, वह है भारत की जनशक्ति और सैनिकों का शौर्य।