Railway Recruitment Sacm: रेलवे में फर्जी बहाली का खुला पोल, काले धन को ठगों ने ऐसे कराया सफेद, जानें क्या है बिहार टू गुजरात कनेक्शन...

Railway Recruitment Sacm: रेलवे में फर्जी बहाली और काले धन को सफेद कराने के मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आइए जानते हैं इस मामले में बिहार टू गुजरात कनेक्शन क्या है...

Railway Recruitment Sacm
रेलवे में फर्जी बहाली मामले में बड़ा खुलासा- फोटो : social media

Railway Recruitment Sacm: रेलवे में फर्जी बहाली और काले धन को सफेद करने के मामले में रेल पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। सोनपुर रेल पुलिस ने उत्तर प्रदेश से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में शुभम कुमार, जो गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र का निवासी है, और पवन श्रीवास्तव, जो कुशीनगर जिले के कप्तानगंज थाना क्षेत्र के सतभरिया का रहने वाला है। गिरफ्तार आरोपियों के पास से दो लैपटॉप, सात मोबाइल, डायरी, पेन ड्राइव और कई पहचान पत्र समेत अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पुलिस को संदेह है कि इन सामग्रियों से फर्जीवाड़े से प्राप्त काले धन को सफेद करने की गतिविधियों से जुड़े अहम सबूत मिल सकते हैं।

बिहार टू गुजरात कनेक्शन 

जांच में सामने आया है कि फर्जी बहाली से मिली रकम को सफेद करने के लिए गुजरात के राजकोट स्थित चैंपियन सॉफ्टवेयर कंपनी का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने बताया कि शुभम, फर्जी नियुक्तियों के बदले उम्मीदवारों से रुपये लेकर राघवेंद्र शुक्ला उर्फ अनिल पडिय को सौंपता था, जो इस राशि को चैंपियन सॉफ्टवेयर कंपनी के खाते में जमा कराता था। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी के खाते में करीब 5 करोड़ रुपये डाले गए थे, जिसके बाद शुभम को राशि क्लेम करने की अनुमति दी जाती थी। इस मामले में मोतिहारी के डुमरियाघाट निवासी दीपक तिवारी की संलिप्तता भी सामने आई है। वहीं, इस पूरे काले धन को सफेद करने की साजिश में राजकोट के अकाउंटेंट गिरीश कुमार और मास्टरमाइंड के तौर पर सौरव अग्रवाल का नाम भी उभरकर आया है।

फर्जी बहाली घोटाले में मोतिहारी का भी कनेक्शन

रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार हुए अरविंद कुमार ने अदालत में बताया कि उन्होंने 1.83 करोड़ रुपये मोतिहारी के डुमरियाघाट निवासी दीपक तिवारी को रेलवे में बहाली के लिए दिए थे। यह रकम चौपयन सॉफ्टवेयर कंपनी में जमा कराई गई थी, जो ऑनलाइन पेमेंट और टिकट बुकिंग का कारोबार करती है। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि इस घोटाले की जड़ें मोतिहारी तक फैली हुई हैं। पुलिस ने तुरकौलिया लोकनाथपुर गांव के निवासी और एक राजनीतिक दल से जुड़े नेता प्रिंस यादव को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा, जीवधारा के टिकट एजेंट प्रदीप कुमार सिंह को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है। बताया जा रहा है कि प्रिंस यादव ने प्रदीप पर दबाव डालकर फर्जी अभ्यर्थियों के लिए टिकट कटवाने की कोशिश की थी।

फर्जीवाड़े का खुलासा कैसे हुआ?

रेलवे में इस बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश 3 दिसंबर 2024 को सोनपुर स्टेशन पर टिकट चेकिंग के दौरान हुआ। उस समय कुछ युवकों के पास से फर्जी रेलवे आईडी कार्ड बरामद हुए थे। जांच आगे बढ़ी, तो समस्तीपुर में एक फर्जी आरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर का खुलासा हुआ। पुलिस के अनुसार, यह गिरोह अब तक 500 से अधिक युवाओं को ठग चुका है। गैंग ने रेलवे बोर्ड की फर्जी वेबसाइट बनाकर नौकरी के विज्ञापन, रिजल्ट, इंटरव्यू और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन तक की प्रक्रिया चलाई थी। यहां तक कि डीआरएम और जीएम ऑफिस का इस्तेमाल कर उम्मीदवारों को फर्जी डॉक्यूमेंट का ओरिजिनल वेरिफिकेशन तक कराया जाता था। अब तक इस मामले में 9 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

गुजरात की कंपनी का 2000 करोड़ का टर्नओवर जांच के घेरे में

पुलिस जांच में गुजरात के वापी स्थित बैंक ऑफ इंडिया शाखा में "चैंपियन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी" नाम से एक बैंक खाता मिला है। इस कंपनी का सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। यह कंपनी पेमेंट गेटवे, मास्टर पे और अन्य डिजिटल भुगतान सेवाएं प्रदान करती है। पुलिस को संदेह है कि इस खाते में अरबों रुपये की हेराफेरी की गई है, जिसकी गहराई से जांच की जा रही है। रेलवे और पुलिस प्रशासन इस घोटाले में शामिल अन्य लोगों की पहचान कर कार्रवाई में जुटा हुआ है। मामले की तह तक जाने के लिए साइबर सेल और आर्थिक अपराध शाखा की मदद ली जा रही है।

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