Bihar Voter List Revision: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन पर लगेगा रोक? राजद ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, याचिका दाखिल

Bihar Voter List Revision: आरजेडी राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता डॉ. मनोज झा ने निर्वाचन आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में आयोग के निर्णय पर रोक लगाने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट
राजद ने दाखिल की याचिका - फोटो : social media

Bihar Voter List Revision:  बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आरजेडी की ओर से राज्यसभा सांसद व पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनोज झा ने याचिका दाखिल कर एसआईआर की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है।

राजद ने जताई आपत्ति

डॉ. मनोज झा ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान की वैधता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि आगामी दिनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे समय में एसआईआर के लिए न तो पर्याप्त समय है और न ही निर्वाचन आयोग द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेज आम नागरिकों के पास उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी आपत्ति जताई कि आयोग आधार कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड जैसे वैध दस्तावेजों को भी इस प्रक्रिया में स्वीकार नहीं कर रहा है।

मतदाता सूची पुनरीक्षण रोकने के लिए कई याचिका दाखिल 

गौरतलब है कि इससे पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने भी इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान को रोकने की मांग की है। उधर, बिहार में महागठबंधन के नेताओं ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राज्य निर्वाचन आयोग से मुलाकात कर वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन अभियान पर रोक लगाने की मांग की थी। इस दौरान आयोग को ज्ञापन भी सौंपा गया। महागठबंधन ने निर्वाचन आयोग से ग्रामीण और वंचित तबकों के हित में अन्य प्रामाणिक दस्तावेजों को भी मान्य करने पर पुनर्विचार करने की मांग की और ऐसा नहीं होने पर सड़कों पर आंदोलन की चेतावनी दी।

तेजस्वी का ईसी से सवाल 

मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि "क्या आयोग को सिर्फ 11 दस्तावेज मांगने का ही अधिकार है? संविधान का अनुच्छेद 326 व्यस्क मताधिकार का आधार तय करता है। फिर आधार कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड आदि दस्तावेज इस प्रक्रिया में क्यों अस्वीकार्य हैं?" तेजस्वी ने सवाल उठाया कि बिहार के करीब चार करोड़ लोग अन्य राज्यों में काम करते हैं। "क्या वे 18 दिनों में अपना सत्यापन करा पाएंगे? क्या सरकार ने उन्हें बिहार लाने की कोई योजना बनाई है या फिर उनके वोट काटना ही उद्देश्य है?"

चुनाव आयोग का फैसला मनमाना 

इससे पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा भी सुप्रीम कोर्ट में इसी मुद्दे पर याचिका दाखिल कर चुके हैं। इन याचिकाओं में कहा गया है कि चुनाव आयोग का यह फैसला मनमाना है। जिससे बिहार के लाखों मतदाताओं का वोट डालने का अधिकार छिन सकता है। गौरतलब है कि बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा की थी। इसके बाद से ही विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी।