राजपूतों की अनदेखी नहीं चलेगी, आरके सिंह बनाएंगे नई पार्टी ! विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका देने की तैयारी
भाजपा के कोर वोटर माने जाने वाले राजपूत जाति के नेताओं द्वारा ऐसे संकेत मिलने लगे हैं कि वे विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं.

RK Singh : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए चिंता बढ़ाने वाले संकेत सामने आ रहे हैं। प्रदेश में प्रभावशाली मानी जाने वाली राजपूत जाति लगातार भाजपा से नाराज नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव में भी मगध और शाहाबाद क्षेत्र में राजपूतों की नाराजगी एनडीए पर भारी पड़ी थी, जहां भाजपा गठबंधन को 7 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव के दौरान भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह, जो खुद राजपूत समुदाय से आते हैं, ने भाजपा का विरोध करते हुए काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। पवन सिंह के पक्ष में राजपूतों का गोलबंद होना भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में दरार का संकेत माना गया था। अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद आरके सिंह तथा सारण से सांसद और पूर्व मंत्री राजीव प्रताप रूडी के बयान एक बार फिर पार्टी नेतृत्व के लिए सिरदर्द बनते दिख रहे हैं।
आरके सिंह का भाजपा छोड़ने का संकेत
आरा के बाबू बाजार स्थित क्षत्रिय कल्याण संगठन के कार्यालय के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने भाजपा नेतृत्व पर सीधा हमला बोला। उन्होंने मंच से कहा कि उन्हें भाजपा में लगातार उपेक्षा और भीतरघात का सामना करना पड़ा है, और अब वे एक नए राजनीतिक विकल्प की तलाश में हैं। लोकसभा चुनाव में मुझे कमजोर करने की साजिश रची गई।"
उन्होंने मंच से लोगों से पूछते हुए कहा, "क्या हम लोग अपनी अलग पार्टी बनाएं? इस पर आप लोग विचार करके बताएं।" बाद में एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर भाजपा अनुशासनात्मक कार्रवाई करती है तो करे। हम अपनी पार्टी शुरू करेंगे, जिसमें न जात-पात होगा और न भ्रष्टाचार – सिर्फ ईमानदार, पढ़े-लिखे लोग होंगे।" उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर गंभीर सवाल उठाए, और प्रशांत किशोर के आरोपों का जवाब मांगते हुए कहा कि यदि वे आरोपों का खंडन नहीं कर सकते, तो उन्हें पद से इस्तीफा देना चाहिए।
राजीव प्रताप रूडी ने जताई नाराजगी
वहीं, सारण से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी भी पार्टी में अपनी अनदेखी को लेकर असंतोष जता चुके हैं। उन्होंने कुछ समय पूर्व ही कुंवर सिंह की पुण्यतिथि पर कहा था, “हम (राजपूत) लंबे समय से दूसरों के लिए सफलता की सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। अब वक्त है कि हम एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाएं।” हाल ही में दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के चुनाव में भी उनके खिलाफ पार्टी के ही पूर्व सांसद संजय बालियान को मैदान में उतारा गया था। हालांकि रूडी यह चुनाव जीत गए, लेकिन उन्होंने पार्टी के भीतर कुछ नेताओं पर उनकी सियासत खत्म करने की साजिश का इशारा किया। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि “कुछ लोग हैं जो मेरी राजनीति खत्म करना चाहते हैं।"
राजपूत वोट बैंक में पड़ेगा दरार
ऐसे में भाजपा के दो कद्दावर राजपूत चेहरों आरके सिंह और राजीव प्रताप रूडी का इस तरह पार्टी लाइन से हटकर बोलना, भाजपा के लिए आने वाले विधानसभा चुनाव में गंभीर सियासी नुकसान की आहट माना जा रहा है। बिहार में जातीय संतुलन की राजनीति बेहद संवेदनशील होती है। ऐसे में अगर भाजपा समय रहते इस नाराजगी को शांत नहीं कर पाई, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में उसे राजपूत वोट बैंक में दरार का बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। सामान्यतः राजपूत जाति को भाजपा का करीबी वोट बैंक माना जाता है। हालांकि आरके सिंह और रूडी के नाराजगी से पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है.