Bihar water crisis: गर्मी के मौसम में गहराया पेयजल संकट! जल्दी बज गई खतरे की घंटी,अप्रैल में ही सूखे चापाकल

बिहार में अप्रैल माह में ही पेयजल संकट गहराने लगा है। कई जिलों में चापाकल सूख गए हैं, भूजल 80 फीट तक नीचे चला गया है और आम-लीची की फसल पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।

 Bihar water crisis: गर्मी के मौसम में गहराया पेयजल संकट! जल
Bihar water crisis- फोटो : freepik

Bihar water crisis: गर्मी के मौसम में पेयजल संकट बिहार की पुरानी समस्या रही है, लेकिन इस बार खतरे की घंटी जल्दी बज गई है। अप्रैल माह में ही कई जिलों में भूजल स्तर चिंताजनक स्तर तक गिर गया है। इसका असर खेती, फल उत्पादन, और ग्रामीण जीवन पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

गर्मी का असर: भूजल स्तर गिरा, फसलें सूखने लगीं

इस साल अप्रैल में ही तापमान गर्मी की चरम सीमा पर पहुंच गया है।इसका सीधा प्रभाव भूजल के लगातार दोहन और वाष्पीकरण पर पड़ा है।

सबसे ज्यादा प्रभावित जिले:

पटना: ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर 32–39 फीट

गया: इमामगंज, डुमरिया, बांकेबाजार में स्तर 80 फीट तक

नालंदा: 38 पंचायतों में जलस्तर 50 फीट से नीचे

बक्सर: कई मोहल्लों में चापाकल से पानी आना बंद

भोजपुर: दो महीनों में 6 इंच तक भूजल गिरा

जहानाबाद: 4 पंचायतें चेतावनी स्तर के नीचे

आम और लीची की फसल संकट में

गर्मी और पानी की कमी का सबसे गहरा असर आम और लीची की फसल पड़ा है। पानी की कमी की वजह से टिकोले (कच्चे आम) गिरने लगे हैं। इस वजह से उत्पादन में 40% तक गिरावट की आशंका जताई जा रही है। लीची की बात करें तो मंजर (फूल) सूखकर झड़ने लगे हैं। उत्पादन का चक्र पूरी तरह से प्रभावित। किसानों का कहना है कि यदि बारिश या सिंचाई की कोई वैकल्पिक व्यवस्था जल्द नहीं हुई, तो इस साल का फलों का सीजन पूरी तरह बर्बाद हो सकता है।

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तालाब, पोखर और नदी सब सूखने की कगार पर

सोन नदी में जल प्रवाह बेहद कम हो गया है, जिससे सोनतटीय गांवों में पेयजल संकट शुरू हो गया है।तालाब, आहर-पोखर आदि संकट की स्थिति में हैं — ये जल स्रोत सिंचाई और पशुपालन दोनों के लिए अहम हैं।कैमूर में पहाड़ी क्षेत्रों में जलस्तर 5 से 10 फीट और मैदानी भागों में 1 से 2 फीट गिर गया है।

प्रशासन और जनता दोनों परेशान

स्थानीय प्रशासन ने जल संकट को लेकर कई जगह टैंकर से जल आपूर्ति शुरू की है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के लिए रोज़ाना लंबी लाइनें लग रही हैं।महिलाएं और बच्चे कई किलोमीटर दूर जाकर पानी भरने को मजबूर हैं।स्कूलों और सामुदायिक भवनों में पानी की उपलब्धता संकट में है।