Bihar News : केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना पर सवाल उठाया है. उन्होंने 'गंगा उद्भव योजना' के तहत मोकामा से गया तक गंगा का पानी ले जाने की परियोजना की व्यवहार्यता को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा, 6 हजार करोड़ रूपये खर्च करने के बिहार सरकार द्वारा 'गंगा उद्भव योजना' से गया तक गंगा का पानी ले जाने के बाद भी गया में जलसंकट बरकरार है. मांझी ने नीतीश कुमार का नाम लिए बिना कहा कि सिर्फ 700 करोड़ रुपए खर्च कर उन्होंने गया के लिए पानी का संकट दूर करने का प्लान बनाया था. लेकिन 700 करोड़ रूपये के बदले 6 हजार करोड़ खर्च किए गए फिर से गया के इलाके में पानी आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाई.
गया के आजाद पार्क में दशहरा कार्यक्रम में पहुंचे जीतन राम मांझी ने बड़े ही तल्ख शब्दों में 'गंगा उद्भव योजना' पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "थोड़ा कहने में हमको दिक्कत होती है. डर लगता है, आलोचना लोग करते हैं. आज 6 हजार करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है. पानी आ रहा है गंगा का लेकिन क्या हमारी आवश्यकता को गंगा का पानी पूरा कर रहा है? हम तो कह सकते हैं कि नहीं पूरा कर रहा है."
उन्होंने कहा, हमने जो योजना तैयार की थी उसमें सारा काम 700 करोड़ रूपये में पूरा हो जाता. इतने ही पैसे से बांध बनाकर उससे नहर भी निकाल लेते. यहां तक कि जिस मोकामा से गंगा का पानी आ रहा है उस मोकामा को भी नहर दे देते. नदी के दोनों किनारे 15 से 20 फीट की सड़क बना देते जिससे गया में ट्रैफिक जाम की समस्या खत्म हो जाती. उन्होंने कहा कि यह मेरा सपना था लेकिन 700 करोड़ की जगह 6 हजार करोड़ खर्च किए गए फिर भी गया में पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही है.
गौरतलब है कि 'गंगा उद्भव योजना' के तहत पटना जिले मोकामा से गया तक पाइपलाइन के माध्यम से गंगा का पानी ले जाया गया है. सीएम नीतीश द्वारा 'गंगा उद्भव योजना' से नालंदा, नवादा और गया जिलों को पेयजल के लिए गंगा का पानी पहुँचाने की पहल की गई है. लेकिन अब गया के सांसद जीतन राम मांझी ने 6000 करोड़ रूपये खर्च कर क्रियान्वित की गई परियोजना पर सवाल उठा दिया है. मांझी इसके पहले भी नीतीश कुमार के कई फैसलों की आलोचना कर चुके हैं. इसमें शराबबंदी के खिलाफ काफी मुखरता से मांझी ने कई बार आलोचना की है.