PATNA : बिहार में 1 अप्रैल 2016 से ही पूर्ण शराबबंदी है। लेकिन बिहार में शराबबंदी गांव के बुजुर्गों के कहानी के उस चुडैल की तरह है जो दिखती कही नही है लेकिन होती कई जगह है। बिहार के सिवान और छपरा में पिछले 2-3 दिनों में जहरीली शराब से अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है। यह 36 कोई गणित के आकड़े नहीं है। ये 36 लोग कल तक जिंदा थे। कल तक इनके शरीर में प्राण था । लेकिन आज वो सरकारी फाइलों के आकड़े बन गए औऱ गांव के लोगों के किस्से कहानियां.अगर कुछ बची हुई है तो वो है उसके परिवार के सदस्यों की सिसकियां।
सरकार की तरफ से इस घटना के सामने आने के बाद एक उच्चस्तरीय बैठक की गई है। इसके लावे आने वाले दिनों में मुआवजे का मरहम भी लगाया जा सकता है। हालांकि पुलिस ने अब तक 24 मौतों की पुष्टि की हैं। इस घटना के सामने आने के बाद बिहार के विपक्ष के तमाम नेताओं ने नीतीश सरकार पर जोरदार हमला बोला है। इसी कड़ी में बिहार सरकार के पूर्व मंंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेेटे तेजप्रताप यादव ने नीतीश सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट करके लिखा कि सत्ता संरक्षण में ज़हरीली शराब के कारण 27 लोगों की हत्या कर दी गयी है। दर्जनों की आँखों की रोशनी चली गयी। बिहार में कथित शराबबंदी है लेकिन सत्ताधारी नेताओं-पुलिस और माफिया के गठजोड़ के कारण हर चौक-चौराहों पर शराब उपलब्ध है।
तेजप्रताप यादव ने कहा कि इतने लोग मारे गए। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक-संवेदना तक व्यक्त नहीं की। जहरीली शराब से, अपराध से प्रतिदिन सैकड़ों बिहारवासी मारे जाते है। लेकिन अनैतिक और सिद्धांतहीन राजनीति के पुरोधा मुख्यमंत्री और उनकी किचन कैबिनेट के लिए यह सामान्य बात है।
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि कितने भी लोग मारे जाए। लेकिन मजाल है की किसी वरीय अधिकारी पर कोई कार्रवाई हो? इसके विपरीत उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा? अगर शराबबंदी के बावजूद हर चौक-चौराहे व नुक्कड़ पर शराब उपलब्ध है तो क्या यह गृह विभाग और मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है? क्या मुख्यमंत्री जी होशमंद है? क्या CM ऐसी घटनाओं पर एक्शन लेने व सोचने में सक्षम और समर्थ है? इन हत्याओं का दोषी कौन?
ऋतिक की रिपोर्ट