Bihar News : बिहार के किसानों की काली करतूत को सेटेलाईट ने पकड़ लिया है. अब नीतीश सरकार इन किसानों पर बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है. इस कवायद में 95 किसानों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. जिस किसानों पर कार्रवाई होनी है सभी पश्चिम चम्पारण जिले के हैं.
दरअसल, पर्यावरण सुरक्षा और वायु प्रदूषण को नियन्त्रण करने के लिए बिहार सहित देश के अधिकांश राज्यों में पराली जलाना माना है. बावजूद इसके पराली जलाने का सिलसिला बड़े स्तर पर कई जगहों पर होता है. अब ऐसे ही किसानों को सैटलाइट ने पकड़ा है. यानी जमीन पर किया जा रहा काम आसमान से पकड़ में आ गया.
सेटेलाइट के माध्यम से पश्चिम चम्पारण जिले के 95 किसानों को खेतों में पराली जलते हुए पकड़ा गया है. पटना से जिला कार्यालय को किसानों के गांव की सूची उपलब्ध कराई गई. अब जिला कृषि पदाधिकारी के निर्देश पर किसानों की पहचान की गई. अक्षांश और देशांतर के आधार पर कृषि कर्मियों की पहचान कर उसकी सूची विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश कर्मियों को दिया गया है.
खेतों में पराली जलाने वाले किसानों में मैनटांड के 17, गौनाहा के 8, बगहा दो के 15, नरकटियागंज के 9,मझौलिया के 6 , बगहा एक के 8 सहित जिला के विभिन्न प्रखंडों के लगभग 95 किसानों को चिन्हित किया गया है. मैनाटांड़, बगहा दो, नरकटियागंज, गौनाहा के किसानों पर अब क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसमें पराली जलाने को लेकर कई किस्म के जुर्माना का भी प्रावधान है. पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर उनके निबंधन को निलंबित करने जैसे मामले भी होते हैं.
क्या है पराली
धान और गेहूं जैसे अनाज की कटाई के बाद बचे हुए फसल के पतवार को पराली कहा जाता है. पराली को जलाने वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है. यह सभी उम्र के लोगों के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती है.पराली जलाना गैरकानूनी है. ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2024 के मसौदे के अनुसार, यह सुनिश्चित करना स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी होगी कि कृषि या बागवानी अपशिष्ट जलाने की कोई घटना न हो और ऐसा करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाए. इसमें नकद जुर्माना का भी प्रावधान किया गया है.