SAHARSA : सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति को तो आपने कई बार देखा होगा। लेकिन क्या आपने यह देखा कि जिस स्कूल में बच्चे पढ़ाई करते हैं और अपने बेहतर भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए स्कूल तक पहुंचते हैं। लेकिन स्कूल तक पहुंचने का रास्ता जोखिम भरा हो तो आप क्या कहेंगे। दरअसल सहरसा से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है। जिसे देखने के बाद लोग सरकार के नुमाइंदे पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। बच्चे स्कूल तक जाने के लिए नाव का सहारा लेते हैं और जोखिम भरा सफर तय कर स्कूल के चौखट को पार करते हैं। नाव पर अपना भविष्य तलाश रहे इस इलाके के बच्चे के हाथों में देखिए हाथों में किताब का बस्ता है शरीर पर स्कूल ड्रेस है। लेकिन स्कूल तक पहुंचने का कोई साधन ही नहीं है। जिस वजह से इलाके के बच्चे छोटी नाव का सहारा लेते है और इसी छोटी नाव से स्कूल तक जाते हैं।
दरअसल सहरसा जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुरली बसंतपुर पंचायत के मुरली भरना से यह तस्वीर निकलकर सामने आई है। जहां पंचायतवासी पिछले 50 साल से एक पुल की मांग कर रहे हैं। लेकिन अब तक ढेमरा नदी में पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। जिसको लेकर ग्रामीण एक तरफ जहां परेशान है। वही बच्चों के स्कूल जाने तक का साधन नहीं है। बच्चे पढ़ने के लिए जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं। इस इलाके के छोटे-छोटे नन्हे बच्चे आज भी नाव पर सवार होकर स्कूल जाने के लिए बेबस है। मुरली बसंतपुर पंचायत के पश्चिम में उत्क्रमित मध्य विद्यालय है। जबकि ढेमरा नदी से पूर्व नव सृजित विद्यालय मुरली भरना गुलाम रसूल टोला वार्ड नंबर 8 में स्थित है। स्कूल जाने के लिए नदी पार करना पड़ता है तभी स्कूल के चौखट तक बच्चे पहुंचते हैं।
आगे जो बच्चों ने बताया वह सुन सभी दंग रह गए। बच्चे बताते हैं कि कई बार नाव नदी में पलट चुकी है । गनीमत रही की पानी कम था नहीं तो हादसा हो सकता था। छात्रा नरगिस प्रवीण बताती है कि पढ़ने जाते हैं। काफी डर लगता है नाव का सहारा लेते हैं और इसी नाव से स्कूल तक जाते हैं। वहीं दूसरी छात्रा सलमा परवीन बताती है कि हम लोग नाव से प्रतिदिन नदी पार कर स्कूल में पढ़ने जाते हैं। हमेशा डर लगा रहता है। तीसरा छात्र मो आसिफ ने बताया कि 2 दिन पहले नाव बीच धार में फंस गया था। हम लोग चिल्लाए तब जाकर गांव के लोग आए और हम लोगों को बचाया। वही चौथे छात्र मो सलमान ने बताया कि हम लोग नाव से सभी दिन पढ़ने जाते हैं। हमेशा डर लगा रहता है एक पुल रहता तो हम लोगों को कोई दिक्कत नहीं होता।
सहरसा से दिवाकर कुमार दिनकर की रिपोर्ट