Bihar Politics:जातिगत जनगणना पर केंद्र का ऐतिहासिक फैसला,उपेंद्र कुशवाहा ने PM मोदी को सराहा, कहा- 'वंचितों के लिए क्रांतिकारी कदम'

Bihar Politics: राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के प्रमुख नेता उपेंद्र कुशवाहा ने जाति आधारित जनगणना की मंजूरी को वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए क्रांतिकारी कदम करार दिया है।

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उपेंद्र कुशवाहा ने PM मोदी को सराहा- फोटो : social Media

Bihar Politics: केंद्र सरकार द्वारा 30 अप्रैल 2025 को केंद्रीय कैबिनेट से जाति आधारित जनगणना को मंजूरी दिए जाने के फैसले ने देशभर में सियासी और सामाजिक माहौल को गर्म कर दिया है। इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय लोक मोर्चा  के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के प्रमुख नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इसे वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए क्रांतिकारी कदम करार दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर बताया।

उपेंद्र कुशवाहा, जो बिहार की सियासत में कुशवाहा समुदाय के बड़े चेहरे माने जाते हैं, ने केंद्र सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक और दूरगामी बताया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह निर्णय देशभर के वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा। यह उनके उत्थान की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

कुशवाहा ने आगे कहा कि जाति आधारित जनगणना से सरकार को विभिन्न जातियों और समुदायों की सटीक सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता चलेगा, जिससे नीतियां और योजनाएं अधिक लक्षित और प्रभावी ढंग से बनाई जा सकेंगी। उन्होंने इसे उन वर्गों के लिए उम्मीद की किरण बताया, जो लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक उपेक्षा का शिकार रहे हैं।

उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार ने 2023 में जाति आधारित सर्वे कराकर दिखा दिया कि सटीक आंकड़े सामाजिक न्याय को मजबूत करने में कितने महत्वपूर्ण हैं। अब केंद्र सरकार का यह कदम पूरे देश में सामाजिक समानता की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाएगा।

बिहार ने 2023 में नीतीश कुमार की अगुवाई में जाति आधारित सर्वे कराकर इस मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बनाया था। इस सर्वे के आंकड़ों ने न केवल बिहार में आरक्षण नीतियों को प्रभावित किया, बल्कि केंद्र सरकार पर भी देशव्यापी जातिगत जनगणना का दबाव बढ़ाया। बिहार के सर्वे में 36% अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC), 27% अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), 19% अनुसूचित जाति (SC), और 1.68% अनुसूचित जनजाति (ST) की हिस्सेदारी दर्ज की गई थी। 

केंद्र सरकार ने शुरू में इस मांग को ठुकराया था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों द्वारा इसे प्रमुख मुद्दा बनाए जाने और बिहार जैसे राज्यों के दबाव के बाद अब इस दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्रीय कैबिनेट ने 30 अप्रैल 2025 को फैसला लिया कि अगली राष्ट्रीय जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी आयोजित की जाएगी। यह आजादी के बाद पहला मौका होगा, जब देश में जाति आधारित आंकड़े आधिकारिक रूप से जुटाए जाएंगे।

उपेंद्र कुशवाहा का इस फैसले का जोरदार समर्थन बिहार की सियासत में उनकी स्थिति को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कुशवाहा समुदाय, जो बिहार में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है, और अन्य पिछड़े वर्गों के बीच उनकी पैठ को देखते हुए यह बयान सियासी रूप से महत्वपूर्ण है। 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर सकते हैं।