Bihar News: सहरसा में मिड-डे मील में निकली 'मौत,' खाने में छिपकली, बच्चों में दहशत, अफसरों की 'नींद' कब टूटेगी
Bihar News: सहरसा जिले में मिड-डे मील में छिपकली मिलने की घटना ने शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
 
                            Saharsa: बिहार के सहरसा जिले के सौरबाजार प्रखंड स्थित प्राथमिक विद्यालय अजगैवा में आज एक ऐसी घटना घटी, जिसने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है और प्रशासनिक लापरवाही पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां मिड-डे मील के भोजन में छिपकली मिलने से हड़कंप मच गया। स्कूली बच्चों के मुताबिक, जैसे ही उन्होंने खाने में छिपकली देखी, पूरे स्कूल में डर का माहौल छा गया और डर के मारे ज्यादातर बच्चों ने खाना खाने से इनकार कर दिया। प्रधानाध्यापक कुमार गौरव ने इस भयावह घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि भोजन एक बाहरी एनजीओ द्वारा तैयार होकर स्कूल में आया था और उसमें सचमुच एक छिपकली मौजूद थी, जिसे देखते ही बच्चों ने अपना खाना फेंक दिया। गनीमत रही कि फिलहाल किसी भी बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर पड़ने की खबर नहीं है।
लेकिन यह घटना प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी की घोर लापरवाही को उजागर करती है। मिड-डे मील की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में साफ तौर पर चूक हुई है। एनजीओ द्वारा सप्लाई किए गए भोजन की कोई ढंग से जांच नहीं की गई, जिसकी वजह से मासूम बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती थी।
बहरहाल सवाल है कि खाना बनाने और सप्लाई करने वाले उस एनजीओ की अब तक जांच क्यों नहीं की गई?क्या उस एनजीओ के पास साफ-सफाई और गुणवत्ता के मानकों को पूरा करने का कोई प्रमाण है भी या नहीं?प्रखंड और जिला शिक्षा अधिकारियों ने मिड-डे मील की निगरानी के लिए अब तक क्या ठोस कदम उठाए हैं?क्या स्कूलों में रोजाना भोजन की नियमित जांच करने की कोई व्यवस्था है?इस गंभीर घटना की तत्काल और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जिम्मेदार व्यक्तियों और लापरवाह एनजीओ के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या प्रशासन किसी और बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
यह घटना सिर्फ बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर लोगों के भरोसे को भी कमजोर करती है। प्रशासन को अब तुरंत हरकत में आना चाहिए और ऐसे शर्मनाक हादसों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। आखिर कब तक बिहार के स्कूलों में बच्चों के खाने में 'मौत' मिलती रहेगी?
रिपोर्ट- दिवाकर कुमार दिनकर
 
                 
                 
                 
                 
                 
                                         
                                         
                             
                             
                     
                     
         
                     
                     
                     
                     
                    